Shri Krishna Janmashtami : जानिए उस मंदिर के बारे में, जहां भूख लगने पर दुबली हो जाती है श्री कृष्ण की मूर्ति

Shri Krishna Janmashtami : देश भर में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। कई प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी भी हो…

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Shri Krishna Janmashtami : देश भर में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। कई प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी भी हो रही है। सभी मंदिरों में अपनी तरह से इस त्यौहार को मनाया जा रहा है। इसलिए कई लोग जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) मनाने के लिए कई प्रसिद्ध मंदिरों का रुख करते हैं। लेकिन हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसके रहस्य सुनकर आप भी वहां जाने के लिए कहेंगे। तो तैयारी कर लीजिए क्योंकि ये रहस्य जानकर आप खुद को वहां जाने से नहीं रोक सकते।

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दरअसल यह मंदिर केरल (Kerla) के कोट्टायम जिले के थिरुवरप्पू इलाके में स्थित है। यह मंदिर करीब 1500 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण ( Shri Krishna) की मूर्ति भूख से व्याकुल रहती है। इसलिए भूख लगने पर वह दुबली हो जाती है। क्योंकि भगवान को भूख ज्यादा लगती है इसलिए भगवान को दिन में 10 बार भोग लगाया जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान ( Shri Krishna) के लिए लगाया गया भोग अपने आप ही धीरे-धीरे कम हो जाता है।

यही नहीं ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की मूर्ति सिर्फ 2 मिनट के लिए ही सोती है। इसलिए मंदिर को भी सिर्फ 2 मिनट के लिए ही बंद किया जाता है। यहां के पुजारी मंदिर के ताले को कभी-कभी कुल्हाड़ी से भी तोड़ते हैं। क्योंकि अगर जाने-अनजाने चाभी कहीं खो जाती है तो किसी भी कीमत पर ताले तो तोड़ा जाता है कि कहीं भगवान ( Shri Krishna) भूख से व्याकुल न होने लगे हों। बता दें कि इस प्रथा को वहां के लोग कई सालों से मानते आए हैं।

ग्रहण काल में भी बंद नहीं होता है मंदिर

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इस मंदिर Kerla Mysterious Temple के बारे में एक और दिलचस्प बात यहा है कि इसे किसी भी ग्रहण काल में बंद नहीं करते हैं। क्योंकि एक बार ग्रहण काल में मंदिर को बंद कर दिया गया था। लेकिन काल खत्म होने के बाद जब दोबारा मंदिर खोला तो अंदर का नजारा देखकर सभी लोग दंग रह गए। भगवान की मूर्ति बेहद दुबली हो गई थी। इस रहस्य को समझने के लिए जब आदिशंकराचार्य को बुलाया गया। शंकराचार्य ने भी जब ये नजारा देखा तो वे दंग रह गए, जिसके बाद उन्होंने हर समय मंदिर खुले रखने का आदेश दे दिया।

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जिसके बाद यह मंदिर हर ग्रहण काल, आपदा-विपदा हर परिस्थिति में खुला रहता और भोग लगाया जाता। मंदिर को पूरे दिन और रात खुला रखकर रात के 11 बजकर 58 मिनट पर बंद कर दिया जाता फिर रात 12 बजे दोबारा खोल दिया जाता। भगवान अगर ज्यादा देर भूखे रहते हैं तो उनकी मूर्ति व्याकुल हो कर दुबली होने लगती है। इसलिए ग्रहण काल में भी उन्हें समय-समय पर भोग लगाया जाता है। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि अत्याचारी कंस का वध करते समय भगवान बहुत भूखे हो गए थे, इसलिए उनकी यह मूर्ति भूख से व्याकुल हो जाती है और दुबली होने लगती है।

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