गहलोत का मिशन मेवाड़-वागड़, आदिवासी अंचल के रास्ते रिवाज बदलने की कवायद…25 सीटों पर नजर

सीएम गहलोत रविवार से दो दिवसीय मेवाड़-वागड़ दौरे पर है जहां रविवार को वह चितौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी पहुंचे और महंगाई राहत कैंप का अवलोकन किया.

gh 6 | Sach Bedhadak

जयपुर: राजस्थान में 2 दशक पुराना रिवाज बदलने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरी ताकत झोंक दी है जहां सीएम लगातार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में गहलोत रविवार से दो दिवसीय मेवाड़-वागड़ दौरे पर है जहां रविवार को चितौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी पहुंचे और महंगाई राहत कैंप का अवलोकन किया. गहलोत आने वाले दो दिनों में चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर जिले में महंगाई राहत कैंप और प्रशासन गांवों के संग शिविरों का अवलोकन करेंगे.

वहीं सीएम इस दौरान जनता को भी कई सौगात देंगे. इसके साथ ही गहलोत घाटोल, बागीदौरा और कुशलगढ़ विधानसभा को भी साधेंगे. मालूम हो कि मुख्यमंत्री गहलोत पिछले साढ़े 4 सालों में उदयपुर संभाग 100 से ज्यादा दौरे कर चुके हैं और अकेले बांसवाड़ा जिले में मुख्यमंत्री का यह 12वां दौरा है. माना जा रहा है कि कांग्रेस चुनावों को देखते हुए इस साल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने परंपरागत वोटबैंक दलित और आदिवासियों की ओर रुख साधने में जुटी है.

बताया जा रहा है कि कांग्रेस 2023 के लिए आदिवासी वोटबैंक पर फोकस कर रही है जहां आदिवासी सीटों पर कांग्रेस अलग रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है. मालूम हो कि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इन इलाकों में कमजोर साबित हुई थी जहां बीजेपी के अलावा बीटीपी की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा था. बता दें कि बीटीपी ने पिछली बार 11 सीटों पर लड़कर 0.72 प्रतिशत वोट हासिल कर 2 सीटें जीती थी.

उदयपुर संभाग में है 25 सीटें ST रिजर्व

दरअसल 2018 के विधानसभा चुनावों में उदयपुर संभाग की 28 सीटों में से 15 सीटों पर बीजेपी, 10 सीटों पर कांग्रेस और 2 सीट बीटीपी के खाते में गई थी. वहीं उदयपुर संभाग में कुल 28 विधानसभा सीटें हैं जहां 25 सीटें एसटी की रिजर्व हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में आदिवासियों का झुकाव बीजेपी की ओर देखा गया. हालांकि इस बीच हुए धरियावद और वल्लभ नगर उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की जिसके बाद कांग्रेस के खाते में 12 सीट हो गई है.

वहीं कुशलगढ़ सीट पर निर्दलीय रमिला खड़िया जीती और 2 सीटों पर बीटीपी का कब्जा है. वहीं अगर बांसवाड़ा और डूंगरपुर की बात करें तो यहां की 9 विधानसभा सीटों में से 3-3 कांग्रेस और बीजेपी के पास है. वहीं दो सीटों पर बीटीपी और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई थी. इसके अलावा बांसवाड़ा की भी 5 सीटों में 2 सीटों पर ही कांग्रेस को जीत मिली थी.

दो बार जहां मिली हार, वहां फोकस लगातार

इसे अलावा आदिवासी अंचल में कई एससी और एसटी सीटें ऐसी है जहां पर कांग्रेस को पिछले दो चुनावों से लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है जिनमें गोगुंदा, उदयपुर ग्रामीण, धरियावद, सलूंबर, आसपुर सागवाड़ा, चौरासी, गढ़ी, घाटोल सीटें शामिल है ऐसे में खुद सीएम इन इलाकों में जाकर चुनावों से पहले आदिवासी वोटबैंक को साधना चाहते हैं. दरअसल बीजेपी के कई नेता भी आदिवासी इलाकों का दौरा कर चुके हैं.

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