Rajasthan Election 2023: भाजपा का अकेला मुस्लिम चेहरा रहे यूनुस खान ने बिगाड़े समीकरण

Rajasthan Election 2023: भाजपा ने यूनुस को 2018 में टोंक से तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के सामने उतारा था। इस चुनाव में वे करीब 55 हजार वोट से हार गए थे। खास बात ये है कि पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे यूनुस एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार थे

rajasthan assembly election 2023 8 | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023: जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कई सीटें बागियों के कारण हॉट सीट बनी हुई हैं। बागी नेताओं का प्रभाव इन सीटों पर ऐसा है कि यहां दोनों बड़ी पार्टियों के पसीने छूटे हुए हैं। इन सीटों में से एक सीट है डीडवाना। कांग्रेस ने डीडवाना से वर्तमान विधायक चेतन डूडी को तो भाजपा ने जितेन्द्र सिंह जोधा को मैदान में उतारा है। किसी समय भाजपा का एकमात्र मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले, वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले पूर्व मंत्री यूनुस खान इस सीट पर निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं। यूनुस खान इससे पहले 2003 और 2013 में डीडवाना क्षेत्र से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2013 में वे भाजपा सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे।

भाजपा ने यूनुस को 2018 में टोंक से तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के सामने उतारा था। इस चुनाव में वे करीब 55 हजार वोट से हार गए थे। खास बात ये है कि पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे यूनुस एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार थे। इस चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। इस सीट पर मुस्लिमों के साथ ही जाट और माली मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। यूनुस खान गांव-गांव लोगों से समर्थन मांगने के साथ ही मंदिरों के सामने चुनाव विश्लेषण पुस्तिका प्रकाशन भी जरूरी निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है।

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चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों का अम्बर लगता है जिस पर नोटिस आदि देने की खानापूर्ति अधिक होती है। इसलिए आयोग के नख-दंत मजबूत करने के साथ चुनाव सुधारों पर बल दिया जाता रहा है। तत्कालीन चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव संबंधी कानूनों की कड़ाई से अनुपालना से अलग माहौल बनाया था। मतदान को प्रभावित करने संबंधी मीडिया की पहल को भी नियंत्रित करने के प्रयास हुए हैं। चुनाव प्रचार के पश्चात मतगणना एवं परिणाम की घोषणा के साथ-साथ चुनाव विश्षण पुस् ले तिका का प्रकाशन भी अपरिहार्य है। इस नाते चुनाव सम्पन्न कराने में निर्वाचन आयोग की अहम भूमिका संसदीय लोकतंत्र का आधार स्तम्भ है।

शीश नवाना और तेजा जी महाराज का जयकारा लगाना नहीं भूलते। उनके आक्रामक चुनाव अभियान ने इस विधानसभा क्षेत्र में न सिर्फ मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, बल्कि भाजपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यूनुस अपने भाषणों की शुरूआत ही तेजाजी महाराज के जयकारे के साथ करते हैं, साथ ही अपने आपको सर्वसमाज के सेवक के रूप में पेश करके व खुद को अन्याय का शिकार बता वोटों का ध्रुवीकरण कर रहे हैं।

30 साल से नहीं जीता कोई निर्दलीय

डीडवाना से पिछले 30 वर्षों से कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी जीत नहीं सका है। आखिरी बार 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार चेनाराम विजयी हुए थे जिन्होंने भाजपा के भंवर सिंह को पराजित किया था। डीडवाना विधानसभा सीट के साथ यह दिलचस्प पहलू भी जुड़ा हुआ है कि पिछले कई चुनावों से कोई वर्तमान विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सका क्योंकि वह या तो चुनाव हार गया या फिर उसकी पार्टी ने उसका टिकट काट दिया। मारवाड़ क्षेत्र के मशहूर किसान नेता मथुरादास माथुर भी डीडवाना का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेतन डूडी ने भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र जोधा को करीब 40 हजार मतों से हराया था।

भाजपा में अब दीनदयाल के सिद्धांत

नहीं, सिर्फ जीत का फॉर्मूला चलता है यूनुस खान का कहना है कि भाजपा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों से भटक चुकी है और अब वहां सिर्फ जीत के फार्मूले को तवज्जो दी जाती है। यूनुस खान ने कहा कि उनकी भाजपा के साथ कभी कोई रिश्तेदारी नहीं थी और वह के वल इसकी विचारधारा के चलते इसके साथ जुड़े हुए थे। यूनुस खान को भाजपा से के वल इतनी शिकायत है कि टिकट काटे जाने के समय उनसे कोई बातचीत नहीं की गई।

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राजस्थान में भाजपा का एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा रहे खान का कहना है कि मुझे सिर्फ इतनी शिकायत है कि अगर मुझे बुलाकर बात करते तो मैं आज भारतीय जनता पार्टी के साथ काम कर रहा होता। लेकिन उन्होंने यह अवसर भी खो दिया। उनका कहना है कि मैं टिकट कटने से निराश नहीं हूं क्योंकि डीडवाना की जनता ने मुझे अपनी ओर से टिकट दे दिया है। खान का कहना है कि मैं जाति धर्म की बात नहीं करता। उनका कहना है कि यदि वह चुनाव जीतते हैं तो डीडवाना की जनता से पूछ कर अपने अगले कदम के बारे में फै सला करेंगे।

तो आसान हो जाती भाजपा की राह

स्थानीय मतदाता नीरज सैनी का कहना है कि अगर यूनुस खान भाजपा के उम्मीदवार होते तो भाजपा की राह यहां बहुत आसान हो जाती। अब मुकाबला कड़ा है। अब कहा नहीं जा सकता कि इस त्रिकोणीय संघर्ष में कौन जीतेगा। डीडवाना के कु छ लोगों का कहना है कि चुनाव आते-आते लड़ाई त्रिकोणीय न रहकर भाजपा और कांग्रेस के बीच हो जाएगी। स्थानीय मतदाता अनीस अहमद का कहना है कि अभी यूनुस खान को बहुत समर्थन मिलता नजर आ रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि आखिर में चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच हो जाएगा।

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ऐसा नहीं लगता कि भाजपा का मूल मतदाता यूनुस खान के साथ जाएगा, चाहे वो अभी कु छ भी कह रहा हो। वहीं डीडवाना के कोलिया गांव की सभा में मौजूद महावीर चौधरी का कहना था कि सच कहूं तो यूनुस खान के साथ अन्याय हुआ है। भाजपा को उन्हेंटिकट देना चाहिए था। लोकसभा में भाजपा को वोट देंगे, लेकिन इस चुनाव में हमारा वोट अलमारी (खान का चुनाव चिह्न) के साथ जाएगा। डीडवाना क्षेत्र में करीब 2.64 लाख मतदाता हैं।