13 जिलों के बाशिंदे पानी की आस में…ERCP को लेकर कांग्रेस की यात्रा कल, जानिए क्या है मुद्दा, क्यों है इस पर विवाद?

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को मुद्दा बनाकर 16 अक्टूबर यानी कल से राजस्थान कांग्रेस अपना चुनाव अभियान शुरू करने जा रही है। कांग्रेस पार्टी इस अभियान की शुरुआत बारां जिले से करेगी।

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Congress attacks on ERCP Issue: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को मुद्दा बनाकर 16 अक्टूबर यानी कल से राजस्थान कांग्रेस अपना चुनाव अभियान शुरू करने जा रही है। कांग्रेस पार्टी इस अभियान की शुरुआत बारां जिले से करेगी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कल इसकी शुरुआत करेंगे। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत, प्रभारी रंधावा, सीपी जोशी, सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा यात्रा में रहेंगे मौजूद, हर दिन दो जिलों में दो सभाएं होगी। यह यात्रा 13 जिलों से निकलेगी।

ERCP को लेकर केंद्र को घेरने की तैयारी

8 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा था कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कांग्रेस 16 अक्टूबर से बारां जिले से अपना अभियान शुरू करने जा रही है। यह यात्रा हर दिन दो जिलों में निकाली जायेगी। कांग्रेस पार्टी सभी 13 जिलों में बड़ी बैठक करेगी। जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने की योजना है।

क्या है ERCP ?

ERCP पूरा नाम ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल और उसकी सहायक नदी कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध में बारिश के दौरान ओवरफ्लो होते पानी को इकट्ठा कर उसे राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी जिलों में भेजना है जिससे वहां पीने के पानी और फसलों की सिंचाई के लिए होती कमी को पूरा किया जा सके। इस य़ोजना की अनुमानित लागत लगभग 60 हजार करोड़ रुपए है। इस परियोजना से राजस्थान की 40 प्रतिशत जनता की प्यास बुझाने का उद्देश्य है। साथ ही करीब 4.31 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी का सामाधान होगा।

ERCP को लेकर क्यों है विवाद

दरअसल राजस्थान सरकार ERCP को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाना चाहती है। ताकि परियोजना की लागत का करीब 90% खर्च केंद्र सरकार उठाए। क्योंकि लागत का पूरा खर्च राज्य वहन नहीं कर पाएगा। वहीं केंद्र सरकार का तर्क है कि जिन नदियों के पानी से इस प्रोजेक्ट के जरिए काम करना है, वे मध्य प्रदेश से आती हैं तो राजस्थान को उनसे पहले NOC लेनी पड़ेगी।

वहीं, मध्य प्रदेश की सरकार ने राजस्थान तो NOC देने से मना कर चुकी हैं। यह कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के वक्त भी हुआ था। इस मामले में केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि 75% जलभराव हिस्सेदारी के हिसाब से राजस्थान डीपीआर बना कर दे। केंद्र तभी 90% हिस्सेदारी उठाएगा। 50% हिस्सेदारी से 3700 एमक्यूएम और 75% हिस्सेदारी से 1700 एमक्यूएम पानी मिलेगा। इसलिए राजस्थान सरकार को जलभराव में 50% की हिस्सेदारी चाहिए क्योंकि उससे पानी ज्यादा मिलेगा।

किन-किन जिलों को मिलेगा ERCP का फायदा

ERCP की जद में राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित 13 जिले आ रहे हैं। इनमें झालावाड़. बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर के बाशिंदों को इस योजना के जरिए पानी मिलेगा।

दोनों दलों के लिए क्यों जरूरी है ERCP

अब यहां सवाल यह आता है कि क्यों दोनों दल ERCP को लेकर इतनी गहमागहमी में हैं। दरअसल राजस्थान के जिस दक्षिण-पूर्वी 13 जिलों को इस योजना के जरिए पानी पहुंचाना है वहां 86 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वी राजस्थान से बड़ा झटका मिला था। ऐसे में वो यहां पर अपने स्थिति को ठीक करना चाहती है। इसलिए ERCP पर वह लगातार अपने कार्यकर्ताओं के जरिए यहां की जनता के सामने अपना पक्ष करने के लिए कार्यशालाओँ का आयोजन कराती रही है।

वहीं, कांग्रेस इन जगहों पर भाजपा पर किसी भी तरह का मौका नहीं देना चाहती। इन 13 जिलों में से आधे जिलों में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। भरतपुर, धौलपुर करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा जिलों में भाजपा का कोई विधायक नहीं है। कांग्रेस ERCP के मुद्दे पर केंद्र सरकार और भाजपा को घेरकर अपने लिए माहौल तैयार कर रही है।