राम मंदिर से जुड़ा है कारसेवक शब्द, कौन होते हैं कारसेवक जिन्होंने लड़ी मंदिर के लिए लड़ाई?

जो लोग किसी धार्मिक कार्य या किसी संस्था के लिए निस्वार्थ भाव से या बिना पैसे लिए दान-पुण्य का काम करते हैं, उन्हें कार सेवक कहा जाता है, क्योंकि ज्यादातर काम निस्वार्थ भाव से या धर्म के लिए पैसे लिए बिना किए जाते हैं, इसलिए कार सेवक शब्द कहा जाता है।

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Kaara Sevak: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले देशभर में माहौल भक्तिमय हो गया है। लेकिन, एक शब्द का राम मंदिर से बहुत पुराना नाता है और उसका नाम है ‘कार सेवक’, यह शब्द उन दिनों से प्रचलन में है जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस हुआ था। लेकिन, क्या आप इस शब्द का मतलब जानते हैं या कार सेवक कौन हैं? आप में से कुछ लोग इसके बारे में जानते होंगे और कुछ लोग नहीं जानते होंगे। तो चलिए आज हम आपको कारसेवक से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।

कारसेवक किसे कहते हैं?

दरअसल, जो लोग किसी धार्मिक कार्य या किसी संस्था के लिए निस्वार्थ भाव से या बिना पैसे लिए दान-पुण्य का काम करते हैं, उन्हें कार सेवक कहा जाता है, क्योंकि ज्यादातर काम निस्वार्थ भाव से या धर्म के लिए पैसे लिए बिना किए जाते हैं, इसलिए कार सेवक शब्द कहा जाता है। इसका उपयोग अक्सर धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि कार का अर्थ है हाथ और सेवक का अर्थ है सेवा करने वाला। अंग्रेजी में इस शब्द को वालंटियर कहा जाता है।

1992 से चर्चा में आया ‘कारसेवक’

भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। तभी से कार सेवक शब्द चर्चा में आ गया था। जब भी अयोध्या के विवादित ढांचे की बात होती है तो कार सेवक शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है. हालाँकि, इस शब्द को केवल विवादित ढांचे से नहीं जोड़ा जा सकता है।

कई जगहों पर आया कारसेवकों का नाम

इसके अलावा सिख धर्म के ग्रंथों में भी कार सेवक शब्द कई जगहों पर आया है। कहा जाता है कि जलियांवाला बाग कांड के दौरान उधम सिंह ने कार सेवा की थी। स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी कारसेवा से हुआ था। जिसके बाद इस शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।