‘Ajmer 92’ से उठा 250 रेप पीड़िताओं की कहानी से पर्दा, कोई आरोपी बुर्के में पकड़ा तो कोई विदेश हुआ फरार

सेंसर बोर्ड से बेमुश्किल से पास हुई फिल्म ‘अजमेर 92’ आखिरकार रिलीज हो गई है। यह फिल्म 30 साल पुराने राजस्थान के अजमेर हुए रेप स्कैंडल का खुलासा करती है।

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जयपुर। सेंसर बोर्ड से बेमुश्किल से पास हुई फिल्म ‘अजमेर 92’ आखिरकार रिलीज हो गई है। यह फिल्म 30 साल पुराने राजस्थान के अजमेर हुए रेप स्कैंडल का खुलासा करती है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे करीब 250 लड़कियों को उनके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो से ब्लैकमेल कर महीनों तक रेप किया था। इस रेप कांड में अजमेर के रसूखदार लोग भी शामिल थे। जब 1992 में इसका खुलासा हुआ पूरा देश सन्न रह गया था। एक अखबार में छपी खबर से इस स्कैंडल का पूरा खुलासा हुआ था। आइए जानते हैं अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड के खुलासे से जुड़ी खास बातें…।

कहां शुरू हुआ ये स्कैंडल?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस स्कैंडल की शुरुआत अजमेर के एक नामी कॉलेज से हुई। एक दिन उस नामी कॉलेज के बाहर एक लड़की रोती हुई जा रही थी। तभी कुछ रसूखदार लड़के गाड़ी में कहीं जा रहे थे। जब उन्होंने उस रोती हुई लड़की को देखा तो वो उस लड़की के पास गए और रोने का कारण पूछा। इस पर लड़की ने बताया कि उनके पास पैसे नहीं है, जिस वजह से कॉलेज वाले उन्हें एडमिट कार्ड नहीं दे रहे। उन लड़कों ने लड़की को ढांढस बताया और उसकी फीस जमा कर दी। फिर वो रोज उस लड़की से मिलते रहे। एक दिन उस लड़की को घर छोड़ने के बहाने वैन में बिठाकर ले गए। फिर वो लड़की को हटूंडी में अपने फॉर्म हाउस ले गए और उसके साथ रेप किया। फिर उन्होंने रेप के दौरान उसका अश्लील फोटो और वीडियो बना लिया। इसके बाद वो उस लड़की को रोज बुलाते और उसका रेप करते थे।

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किसी को बताने पर फोटो वायरल करने की धमकी

रसूखदार लड़कों ने लड़की को रेप के बारे में किसी को बताने पर उनकी अश्लील फोटो वायरल करने की धमकी दी थी। कुछ दिनों बाद उन लड़कों ने कहा कि वो अपनी दोस्त को साथ में लाए। पहले तो उस लड़की ने मना कर दिया, लेकिन फोटो वायरल हो जाने के डर से वो अपनी दोस्त को साथ ले गई। फिर उन लड़कों ने उस लड़की का भी रेप किया। फिर उन्होंने उन दोनों लड़कियों से और लड़कियों को लाने के लिए कहा। ऐसे ही करके बहुत सारी लड़कियां इस जाल में फंसती गईं।

1990 में हुई थी इस स्कैंडल की शुरुआत

इस स्कैंडल का खुलासा सन 1992 में हुआ था, लेकिन इसकी शुरुआत 1990 में हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहली लड़की से रेप के बाद ये स्कैंडल इतनी तेजी से चला कि इसमें कई कॉलेज और स्कूलों की लड़कियां फंसती चली गई है। अधिकतर लड़कियों की उम्र 16-17 साल थी। रेप के बाद उन लड़कियों के वीडियो बनते, फोटो खींचे जाते और उसी के आधार पर उन्हें फिर से रेप के लिए बुलाया जाता था। लड़कियों को धमकी दी जाती थी कि वो अगर इस बात की जानकारी किसी को देंगी तो वो ये फोटोज और वीडियोज लीक कर देंगे।

कैसे शुरू हुआ फोटोज और वीडियो लीक होने का सिलसिला?

आरोपियों ने फोटो रील डेवलप होने के लिए जिस लैब में दिए, वहीं से न्यूड तस्वीरें लीक हो गईं। न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई। उन्हीं के माध्यम से बाजार में तस्वीरें आ गईं। मास्टर प्रिंट तो कुछ ही लोगों के पास थे, लेकिन इनकी कॉपियां शहर में सर्कुलेट होने लगी। ये तस्वीरें जिसके भी हाथ लगीं, उसने भी लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इसी बीच एक-एक कर कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया।

कौन लोग थे इस पूरे स्कैंडल के पीछे?

जांच के बाद अजमेर शहर यूथे कांग्रेस प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेट्री के साथ-साथ कुल रईसजादों के नाम सामने आए। केस के मास्टरमाइंड अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे। रसूखदारों के नाम सामने आते ही पुलिस मामले को दबाने में लग गई। बात बिगड़ती देख राजस्थान के तत्कालीन भैरोसिंह शेखावत सरकार ने जांच CID को दे दी। इस केस में कुल 18 लोगों पर आरोप लगे थे।

2 लड़कियों के बयान पर हुई थै 11 गिरफ्तार

इस स्कैंडल में दो लड़कियों के बयान दर्ज होने के बाद 11 लोगों की गिरफ्तारियां हुई थी। हालांकि, इस स्कैंडल का शिकार हुई कई लड़कियां अपनी पहचान छिपाकर रखना चाहती थी। इसी वजह से कईयों ने अपने ठिकाने बदल लिए थे, तो कईयों ने अपने नाम। कई लड़कियों के बारे में तो कोई जानकारी भी नहीं है। वो कहां गईं, कुछ भी नहीं पता। पुलिस का उन लड़कियों को पूरा सपोर्ट था, फिर भी डर से कोई भी बयान देने को तैयार नहीं था। बाद में एक एनजीओ ने 30 लड़कियों की पहचान की। उनसे इस मामले में बात भी की गई, लेकिन अधिकतर ने बदनामी के डर से अपने कदम वापस खींच लिए। बड़ी मुश्किल से 12 लड़कियां केस दर्ज कराने के लिए राजी हुई थीं। जब यह बात रसूखदार लोगों के परिवारों को पता चला तो उन्होंने 12 लड़कियों को धमकाना शुरू कर दिया, जिस कारण 10 लड़कियों ने अपने नाम वापस खींच लिए। फिर बची हुई 2 लड़कियों ने 16 अपराधियों की पहचान बताई, जिसमें से पुलिस सिर्फ 11 को अरेस्ट कर पाई।

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18 दोषियों के खिलाफ चला केस

हरीश दोला (कलर लैब का मैनेजर), फारुख चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट), नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेटरी), पुरुषोत्तम उर्फ बबली (लैब डेवलपर), इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, महेश लोदानी (कलर लैब का मालिक), शम्सू उर्फ माराडोना (ड्राइवर), जऊर चिश्ती (लोकल पॉलिटिशियन) के खिलाफ अजमेर स्कैंडल के मामले में केस चला था।

कोई बुर्के में पकड़ा गया तो कोई विदेश फरार हो गया

सलीम चिश्ती को लगभग 20 साल बाद साल 2012 में बुर्के में पकड़ा गया। बाद में वो बेल पर छूट गया। नफीस को लगभग 11 साल बाद 2003 में पकड़ गया। बाद में वो भी बेल पर छूट कर आ गया। सोहेल गनी चिश्ती ने लगभग 26 साल 15 दिसंबर, 2018 को सरेंडर कर दिया। वो भी बेल पर छूट कर आ गया। नसीम उर्फ टारजन को लगभग 18 साल बाद 2010 में पकड़ा गया। जमीर हुसैन को एंटीसिपेटरी बेल मिल गई। इकबाल भाटी को लगभग 13 साल बाद 2005 में पकड़ गया, बेल पर छूट गया। इस मामले में एक आरोपी अल्मास महाराज आज तक फरार हैं। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है।

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फिल्म भी विवादों में

‘अजमेर 92’ फिल्म इसी स्कैंडल पर आधारित है। मूवी को लेकर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों और अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है। फिल्म के माध्यम से एक ही कम्यूनिटी के लोगों को टारगे करने का आरोप लगाया है। दरगाह कमेटी की और से चेतावनी भी दी गई है कि अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की इमेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ‘अजमेर 92’ फिल्म को रिलीज करने से पहले दरगाह कमेटी को फिल्म दिखाने की मांग भी की गई है, जिससे कि विवाद खड़ा ना हो।

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