Uttarakhand Tunnel Collapse: आखिर कब खत्म होगा इंतजार? अब रेस्क्यू ऑपरेशन में आई ये बड़ी मुश्किल…बुरी तरह फंस गई ऑगर मशीन

Uttarakhand Tunnel Collapse : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का आज 14वां दिन है। दिवाली के दिन से सुरंग…

New Project 2023 11 25T111154.496 | Sach Bedhadak

Uttarakhand Tunnel Collapse : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का आज 14वां दिन है। दिवाली के दिन से सुरंग में फंसे 41 मजदूर बाहर निकलने की उम्मीद लगाए हैं। वहीं प्रशासन की ओर से सभी मजूदरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन हर बार मशीन के आगे बाधा आ रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, टनल में एक बार फिर ऑगर मशीन फंस गई है। सिल्क 11 सुरंग में ऑगर मशीन के जरिए ऑपरेशन अब बेहद मुश्किल हो गया है। मशीन के आगे अब तक की सबसे बड़ी बाधा सामने आ गई है।

सरियों के जाल में फंसी ऑगर मशीन

अमेरिकी ऑगर मशीन शुक्रवार शाम को 24 घंटे बाद चली, लेकिन 1.5 मीटर आगे बढ़ने के बाद फिर लोहे का अवरोध आने से लक्ष्य से नौ मीटर पहले रुक गई। अधिकारियों ने बताया कि ड्रिलिंग के दौरान सरियों का जाल मशीन के सामने आ गया। जिसकी वजह से ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों के जाल में फंस गए। ऑगर मशीन का अगला हिस्सा लोहे के पाइप के आखिरी मुहाने पर बुरी तरह फंस गया है। इस मशीन के ऑपरेशन में अब तक किए सबसे बड़ी मुश्किल है। ऑगर मशीन के ब्लेड को वहां से निकलना बेहद मुश्किल हो रहा है और फिलहाल एजेंसियों के पास कोई रास्ता नहीं है कि जाल को काटकर मशीन को पीछे लाया जाए।

वर्टिकल ड्रिलिंग अगला विकल्प!

मशीन में क्षमता है कि वह पाइप को दबाकर के मलबे के पार ले जाए, लेकिन सरिया का जाल मिलने की वजह से अब यह रास्ता भी बंद हो गया है। अब से थोड़ी देर बाद मीटिंग साइट पर सबसे बड़ी बैठक होगी, जिसमें वर्टिकल ड्रिलिंग शुरुआत करने का फैसला लिया जाएगा। ओएनजीसी, एसजीवीएनएल अब वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी में है।

वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीन को पूरी तरह से इंस्टॉल कर लिया गया है और अब उसे ऊपर चढ़ाने की तैयारी होगी। सीमा सड़क संगठन ने वर्टिकल ड्रिलिंग की जगह पहुंचाने के लिए पहले से ही सड़क तैयार कर ली है और अब ट्रैक की मजबूती बनाते हुए सामान पहुंचाया जाएगा। थोड़ी देर बाद मीटिंग में वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर फैसला हो सकता है।

बता दें कि गुरुवार शाम 4 बजे बेस हिलने से ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था। मरम्मत आदि में करीब 24 घंटे बीत जाने के बाद मशीन 13वें दिन शुक्रवार शाम करीब 4:30 बजे चली तो उम्मीदें फिर जग गईं, लेकिन कुछ देर बाद ही रेस्क्यू टीमों को फिर झटका लग गया। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि करीब शाम 6:40 बजे मशीन की राह में फिर लोहे का अवरोध आने से काम रुक गया। अब तक मलबे में करीब 47 मीटर ही पाइप पहुंच पाया है।

अब फंसे मजदूरों से सुरंग अंदर की तरफ से मलबा हटवाने की तैयारी…

मजदूरों को निकालने के लिए लोहे का अवरोध आने से ऑगर मशीन लक्ष्य से 9 मीटर पहले रुक गई। जिसके बाद अवरोधों को काटकर हटाने का काम तो शुरू हुआ लेकिन इस बात पर भी विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से 9 मीटर मलबा हटवा दिया जाए। अगर ये प्लान काम कर गया तो श्रमिक जल्दी बाहर आ सकेंगे।

अब दो योजनाओं पर विचार शुरू…

ऐसे में तमाम व्यवधानों और उम्मीदों के बीच अब इस बात पर विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।

12 नवंबर से टनल में फंसे हैं 8 राज्यों के 41 मजदूर…

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं। इसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं। इन्हें निकलने के लिए 13 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।