Right to Health : रियायती दर पर जमीन लेने वाले निजी अस्पतालों की सूची मांगी

प्रदेश की सरकार अब जल्द ही आमजन को स्वास्थ्य का अधिकार देने की तैयारी में जुट गई है। आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार इस बिल के दायरे में आने वाले अस्पतालों की सूची जारी करेगी।

Right to Health

Right to Health : जयपुर। प्रदेश की सरकार अब जल्द ही आमजन को स्वास्थ्य का अधिकार देने की तैयारी में जुट गई है। आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार इस बिल के दायरे में आने वाले अस्पतालों की सूची जारी करेगी। इसको लेकर चिकित्सा विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है। अस्पतालों को बिल के दायरे में लाने के लिए नियम बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है और इसे अंतिम रूप देने की कवायद चल रही है। इसी कवायद को लेकर निदेशक (जन स्वा.) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने संयुक्त शासन सचिव, शहरी विकास एवं आवास विभाग और स्थानीय स्वशासन विभाग को पत्र लिखकर रियायती दर पर आवंटित भूमि पर निजी चिकित्सालय और उनसे किए गए अनुबंध की सूचना मांगी है। 

इसमें राज्य सरकार और इंडियन मेडिकल एसो. और निजी चिकित्सालयों के प्रतिनिधि के साथ 4 अप्रैल को हुए एमओयू की शर्तों को लागू करने के लिए रियायती दर पर निजी चिकित्सालयों को जो भूमि आवंटित की गई है, उन चिकित्सा संस्थानों की सूची और उनसे किए गए अनुबंध की कॉपी मांगी है। अस्पतालों की सूची मिलने के बाद और उनके अनुबंध की शर्तों का अध्ययन करने के बाद सरकार प्रदेश के प्रत्येक नागरिकों को निजी अस्पतालों में भी फ्री इलाज देगी।

बिल के विरोध के बाद हुआ था समझौता

राइट-टू-हेल्थ बिल लाने वाला देश में राजस्थान पहला राज्य बन गया है। विधानसभा में यह बिल पारित होने के बाद हर नागरिक को इलाज की गारंटी देने के लिए लाया गया है, लेकिन अभी नियम कायदों की आड़ में यह निजी चिकित्सालयों पर लागू नहीं हो सका है। चिकित्सक संगठनों ने बिल को लेकर आंदोलन किया था, जिसकी समाप्ति से पहले बिल को लागू करने को लेकर राज्य सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व निजी अस्पतालों के संगठनों के बीच समझौता हुआ था। इसके अनुसार सरकार से रियायती दर पर या फ्री में भूखंड लेने वाले अस्पताल राइट टू हेल्थ कानून के दायरे में आएं गे। भूखंड आवंटन का काम संबंधित निकाय चाहे वह विकास प्राधिकरण हो, न्यास हो या नगरपालिका,नगर परिषद या फिर नगर निगम, उनकी ओर से ही किया जाता है। इसी को लेकर ऐसे अस्पतालों की सूची मांगी गई है, जिन्होंने इस तरह से सरकार से रियायती दर में जमीन ली है।

ये खबर भी पढ़ें:-दीवार में छिपा कर रखी ढाई करोड़ की अफीम, जब्त

निकाय भेजेंगे अस्पतालों की सूची

निकायों की ओर से अब ऐसे अस्तपालों की सूची चिकित्सा विभाग की भेजी जाएगी, जिन्होंने आरक्षित दर, आरक्षित दर के 25 से 50%, डीएलसी दर की 5% दर,1 रुपए टोकन मनी और अन्य रियायती दर पर भूमि ली है। यह सूची मिलने के साथ ही नियम कायदों को अंतिम रूप देकर बिल के दायरे में आने वाले अस्पतालों की सूची जारी की जाएगी। आंदोलन के बाद डॉक्टर्स व सरकार के बीच हुए समझौते में शामिल रहे आईएएस अधिकारी टी. रविकांत ने कहा था कि सरकार बिल के प्रावधान और नियम ही ऐसे बनाएगी कि निजी अस्पताल खुद बिल में शामिल होना चाहेंगे।

ये नियम होंगे लागू

50 से कम बिस्तर वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, रियायत के बिना बने अस्पताल राइट टू हैल्थ कानून के दायरे से बाहर होंगे। निजी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, पीपीपी मोड पर चल रहे अस्पताल, सरकार से रियायत लेने वाले, ट्रस्ट की ओर से संचालित अस्पतालों पर बिल लागू होगा।

ये खबर भी पढ़ें:-सोशल मीडिया पर BJP बिछाएगी चुनावी बिसात, एक लाख वॉट्सएप ग्रुप से 2 करोड़ 56 लाख लोगों तक पहुंचेगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *