विधानसभा में फिर गरजेंगे राठौड़ और पूनिया, राजस्थान में सक्रिय रखने पर आलाकमान कर रहा विचार!

राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया की हार के बाद उन्हें राजस्थान में ही कोई जिम्मेदारी मिल सकती है.

sach 1 69 | Sach Bedhadak

Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस को पटखनी देकर बहुमत हासिल कर लिया है लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर अब मरुधरा में बड़ा ही दिलचस्प माहौल बना हुआ है. बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है लेकिन मुख्यमंत्री के लिए कोई भी सर्वसम्मति का चेहरा नहीं है. वहीं आलाकमान ने भी अब तक किसी तरह के संकेत नहीं दिए हैं. इधर आलाकमान स्तर पर सीएम फेस को लेकर कवायद तेज है जहां राजधानी जयपुर से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज है.

वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया की हार से बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व हैरान है. जानकारी के मुताबिक नतीजों के बाद पार्टी की ओर से इन दोनों ही नेताओं को कद के मुताबिक जगह देने का भरोसा दिया गया है. बताया जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान राठौड़ और पूनिया दोनों को लेकर राजस्थान में ही किसी विकल्प पर विचार कर रहा है.

उपचुनाव में राठौड़-पूनिया को मिलेगा मौका!

जानकारी के अनुसार राठौड़-पूनिया को किसी बोर्ड या निगम में जिम्मा देने की बजाय दोनों को मुख्यधारा की राजनीति में बरकरार रखने के लिए विचार किया जा रहा है. इसके अलावा दोनों के लिए राज्यसभा और लोकसभा भेजने का विकल्प भी शामिल है. हालांकि पार्टी आलाकमान चाहता है कि दोनों की राजनीतिक कौशलता का इस्तेमाल राजस्थान में ही किया जाए.

ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में किन्हीं दो विधायकों को टिकट देकर उपचुनाव में राठौड़ और पूनिया को मौका दिया जा सकता है. मालूम हो कि राजेंद्र राठौड़ के विधानसभा में प्रदर्शन की हर तरफ चर्चा होती थी और आलाकमान भी उनकी सियासी समझ से वाकिफ है.

मालूम हो कि हाल में हुए राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत तो मिला लेकिन जयपुर के आमेर में और चूरू के तारानगर से बीजेपी को बड़ा झटका लगा जहां इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी के इन दोनों दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. तारानगर में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और आमेर में सतीश पूनिया की हार हुई.

घेराबंदी के माहिर खिलाड़ी राठौड़

गौरतलब है कि पिछले साल 25 सितंबर को हुई गहलोत खेमे की बगावत के दौरान विधायकों के इस्तीफा मामले को राजेंद्र राठौड़ की हाईकोर्ट तक लेकर गए थे जिसके बाद वह लगातार इस मामले पर हमलावर रहे थे.

वहीं राठौड़ विधायकी कार्यों और गहलोत सरकार की योजनाओं पर लगातार घेराबंदी करते रहे. इसके अलावा सतीश पूनिया ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए पूरे राजस्थान को नापा था और सांगठनिक कामों में उनकी कुशलता बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में है.