अब धरियावद को सलूंबर जिले में शामिल करने का विरोध, आंदोलन की चेतावनी, प्रतापगढ़ में रखने की उठी मांग 

प्रतापगढ़। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 19 जिले और 3 संभागों की घोषणा के बाद ही दूसरे जिलों में तहसीलों को शामिल करने और ना करने…

अब धरियावद को सलूंबर जिले में शामिल करने का विरोध

प्रतापगढ़। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 19 जिले और 3 संभागों की घोषणा के बाद ही दूसरे जिलों में तहसीलों को शामिल करने और ना करने को लेकर लगातार मांग उठाई जा रही है। इसके अलावा जिन स्थानों को जिला घोषित नहीं किया गया है, उन्हें जिला बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है। इसी क्रम में अब प्रतापगढ़ के धरियावद को प्रतापगढ़ जिले में ही रखने की मांग जोर पकड़ने लगी है। 

सलूंबर में नहीं प्रतापगढ़ में ही रखा जाए धरियावद 

दरअसल अशोक गहलोत ने जिन 19 जिलों को बनाने की घोषणा की है। उनमें सलूंबर (Salumbar) का नाम भी है। सलूंबर पहले उदयपुर में ही था। धरियावद को भी पहले उदयपुर से निकालकर प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में शामिल किया गया था, जब प्रतापगढ़ को जिला बनाने की घोषणा हुई थी।धरियावद की उदयपुर से दूरी 121 किमी थी, इसलिए इसे प्रतापगढ़ में शामिल  किया गया था ताकि लोगों को सहूलियत मिले लेकिन अब धरियावद को सलूंबर जिले में शामिल करने की खबरें के बीच वगतपुरा सरपंच हरीश मीणा ने मांग उठाई है कि धरियावद उपखंड क्षेत्र को प्रतापगढ़ में ही रखा जाए।

बार-बार जिले बदलने से होती है परेशानी

हरीश मीणा ने कहा कि अगर सलूंबर में धरियावद (Dhriawad) को शामिल किया जाता है तो हम इसका विरोध करेंगे। इसे लेकर एक बड़ा आंदोलन भी किया जाएगा। बार-बार जिला बदलने से लोगों को परेशानी होती है। क्योंकि धरियावद से प्रतापगढ़ सिर्फ 38 किलोमीटर है, जबकि सलूंबर 60 किलोमीटर दूर है। जिससे लोगों को उनकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इतनी लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए हमारी मांग है कि धरियावद को प्रतापगढ़ में ही रखा जाए जिससे लोगों को सहूलियत मिले ना की परेशानी। 

40 साल पुरानी थी सलूंबर को जिला बनाने की मांग 

बता देंगे उदयपुर जिले के सलूंबर को अलग करने की मांग बीते 40 सालों से की जा रही थी। जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में पूरा कर दिया लेकिन अब सलूंबर में प्रतापगढ़ के उपखंड धरियावद को शामिल करने की खबरों के बीच में लोगों ने आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दे दी है। जिससे धरियावद को सलूंबर में शामिल करने की बात पर फिर से विचार किया जा सकता है।

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