मंत्री-अफसरों पर FIR नहीं होने पर किरोड़ी ने खोला मोर्चा, जोशी बोले- सांसद के खिलाफ दर्ज कराऊंगा केस

जलदाय मंत्री महेश जोशी ने परियोजनाओं में किसी भी प्रकार के घोटाले से इनकार किया और सांसद किरोड़ी पर मानहानि का मामला दर्ज कराने की बात कह दी।

Kirodi Lal Meena

जयपुर। जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े दो मामले में संबंधित अधिकारी और जलदाय मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार किए जाने पर राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) मंगलवार को एक शिकायतकर्ता के साथ अशोक नगर थाने के सामने धरने पर बैठ गए। गौरतलब है कि मीणा ने जल जीवन मिशन परियोजनाओं से संबंधित निविदा में अनियमितता का आरोप लगाया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद जलदाय मंत्री महेश जोशी ने परियोजनाओं में किसी भी प्रकार के घोटाले से इनकार किया और सांसद किरोड़ी पर मानहानि का मामला दर्ज कराने की बात कह दी। उन्होंने कहा कि किरोड़ी मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को खुश करने के चक्कर में मुझ पर और अधिकारियों पर झूठा आरोप लगा रहे हैं। 

चहेती फर्मों को पहुंचाया फायदा 

अशोक नगर थाने के बाहर शिकायतकर्ता टी.एन. शर्मा के साथ धरने पर बैठे मीणा ने कहा कि पुलिस नेशिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया है। जबकि आरोप है कि जल जीवन मिशन की 48 परियोजनाओं में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर दो फर्मों को 900 करोड़ रुपए की निविदा जारी की गई। इसके बाद किरोड़ी पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव के पास भी पहुंचे और मामला दर्ज करने की मांग की। आयुक्त के साथ बातचीत में भी कोई हल नहीं निकलने पर वे दुबारा अशोक नगर थाने के बाहर जाकर धरने पर बैठ गए।

वहीं मामला दर्ज नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी थाने पहुंचे और शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। राठौड़ ने कहा कि दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। इससे सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री कहते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चलती है और दूसरी तरफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार नहीं है।

निविदा प्रक्रिया में मंत्री की भूमिका नहीं 

मंत्री जोशी ने इस मामले में पत्रकारों को जल जीवन मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि जेजेएम में टेंडर तय करने की प्रक्रिया में मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती। जेजेएम में होने वालेटेंडर प्रक्रिया में केंद्र सरकार की भी भूमिका रहती है। निविदा निकालने से पहले डीपीआर तैयार करने से लेकर फाइनल करने तक नेशनल जल जीवन मिशन द्वारा फाइनल अनुमति ली जाती है। कोटेशन तय होने के बाद वित्त विभाग द्वारा स्वीकृति दी जाती है। निविदा के बाद जो टेंडर होते हैं, उसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगें जाते हैं और उसमें भी पारदर्शिता होती है। जिस फर्म की बात किरोड़ी लाल मीणा कर रहे हैं, उसमें पहले एक वकील नेशिकायत की थी । जिसमे जांच कराकर फर्म से सर्टिफिकेट भी लिया गया था। हाल ही में पुनः शिकायत आई थी, जिसकी जांच चल रही है। अगर पूर्व जांच और इनमें कोई गड़बड़ी आती है, तो जिम्मेदार एक्सईएन के खिलाफ कार्रवाई होगी। 

किरोड़ी कर रहे ब्लैकमेलिंग 

मंत्री महेश जोशी ने कहा कि किरोड़ी लाल मीणा जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उसे पॉलिटिकल ब्लैकमेलिंग कहते हैं। जो आरोप लगाने वाला व्यक्ति होता है, उसमें भी गंभीरता होनी चाहिए कि वो क्या आरोप लगा रहे हैं। जोशी ने कहा कि मुझ पर लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। आरोप लगाना किरोड़ी मीणा की आदत बन गई हैं। अगर उनके पास सबूत हैं, तो उन्हें इसे मुख्यमंत्री या किसी को भी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि निविदा प्रक्रिया में मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती है।

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