पूनिया को हटाने का ‘अंजाम भुगतेगी’ भाजपा ! जाटों-किसानों में ‘रोष’, क्या वसुंधरा के लिए ‘रास्ता साफ’ कर रही है बीजेपी

राजस्थान की सियासत में अब नए मोड़ देखने को मिल रहे हैं लेकिन आज सबसे बड़ा झटका जो दिल्ली से राजस्थान के भाजपा नेता सतीश…

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राजस्थान की सियासत में अब नए मोड़ देखने को मिल रहे हैं लेकिन आज सबसे बड़ा झटका जो दिल्ली से राजस्थान के भाजपा नेता सतीश पूनिया को मिला, उससे चारों तरफ एक ही चर्चा है कि सतीश पूनिया को हटाकर भाजपा ने सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना क्यों मुनासिब समझा ? हालांकि इसका जवाब किसी के पास नहीं लेकिन इस मुद्दे को लेकर अब देश में दो धड़ दिखाई दे रहे हैं। एक वो जो सतीश पूनिया के समर्थन में है, जो भाजपा के इस फैसले की निंदा कर रहा है, तो दूसरी तरफ जो यह कहता है कि भाजपा हर वर्ग को, हर व्यक्ति को, हर कार्यकर्ता को मौका देती है।

किरोड़ी के बाद सबसे ज्यादा आंदोलन पूनिया के नाम

सतीश पूनिया जो के एक किसान परिवार से आते हैं, जाट नेता हैं, प्रदेश में किरोड़ी लाल मीणा के बाद सबसे ज्यादा आंदोलन जिसके नाम रहे हैं, वह सतीश पूनिया है। सतीश पूनिया ने राजस्थान के हर ज्वलंत मुद्दों पर लगभग एक बड़ा आंदोलन किया है। उन्होंने इसे लेकर के कई बार गिरफ्तारियां भी दी है, पुलिस की लाठियां तक खाईं हैं। उन्होंने जाटों का प्रतिनिधित्व किया है, जाट समाज से उनका काफी प्रेम है। यहां तक कि सतीश पूनिया को राजस्थान के सीएम के रूप में भी देखा जाने लगा था। सीएम पद की रेस में सतीश पूनिया का नाम वसुंधरा के साथ दौड़ रहा था लेकिन भाजपा के एक आदेश से सतीश पूनिया फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी से हटा दिया है और सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष की नई जिम्मेदारी दी है।

जाटों से भाजपा को नफरत !

हालांकि यह बात भाजपा के अंदरूनी हैं कि राजस्थान के विधानसभा चुनाव को लेकर उसकी क्या रणनीति है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का खामियाजा भाजपा भुगत सकती है। राजनीतिक विश्लेषक ही नहीं सोशल मीडिया पर सतीश पूनिया के समर्थक भाजपा पर बौखलाए हुए हैं। सोशल मीडिया पर तो एक आवाज उठ चुकी है कि एक जाट नेता भाजपा को इतना नागवार गुजरा कि उसने प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया, क्योंकि भाजपा जाटों से नफरत करती है, अब आने वाले चुनाव में जाट दिखा देंगे कि सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने का अंजाम क्या होता है।

जाट दिखाएंगे पूनिया को हटाने का नतीजा क्या?

सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें सतीश पूनिया के हैश टैग के नाम से भरी पड़ी है। सतीश पूनिया में क्या कमी थी के हैश टैग से उनके समर्थक सोशल मीडिया पर एक तरह की जंग लड़ रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद किसान वर्ग उनसे खासा नाराज हो गया है। क्योंकि सतीश पूनिया एक साधारण से किसान परिवार से आए हुए नेता हैं। जिन्होंने राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा नाम कमाया है। यहां तक कि सीएम पद की रेस में भी उनका नाम जोरों शोरों से चला। राजस्थान के हर एक मुद्दे पर उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी। उन पर वे जबरदस्त आंदोलन करने से भी नहीं कतराए।

वसुंधरा राजे के लिए रास्ता साफ कर रही है भाजपा !

दूसरी तरफ कई विश्लेषकों का भी है कहना है की राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे के कद को देखते हुए भाजपा उन्हें ही सीएम फेस घोषित करने के विचार में है। सतीश पूनिया वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाते थे, साथ ही गुलाबचंद कटारिया का भी नाम इसी फेहरिस्त में आता था। अब इस लिस्ट से गुलाबचंद कटारिया को तो भाजपा ने बाहर ही निकाल दिया है। अब अगली गाज सतीश पूनिया पर गिर गई है। जानकारों का यह भी कहना है कि ऐसा करते हुए भाजपा वसुंधरा राजे के लिए रास्ता साफ करना चाहती है।

ब्राह्मण महापंचायत में उठी मांग को कर रही है पूरा ?

हाल ही में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी ब्राह्मण नेताओं ने राजनीति में ब्राह्मणों को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई थी। सिर्फ भाजपा की ही नहीं कांग्रेस से भी यह स्वर उठे थे। ऐसा माना जा रहा है कि इस ब्राह्मण महापंचायत के बाद से ही भाजपा ने राजस्थान में ब्राह्मण नेता बिठाने की कोशिश की है। जिसके रूप में उन्होंने चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में बिठा दिया है।

कांग्रेस की अब क्या होगी रणनीति ?

तो दूसरी तरफ अब कांग्रेस में भी इस बात की हर कोई चर्चा कर रहा है कि सतीश पूनिया को इस पद से हटाने के पीछे भाजपा की रणनीति क्या रही है? वह ब्राह्मणों को अब राजस्थान की सियासत में हिस्सेदारी देने का मूड बना चुकी है और ब्राह्मण महापंचायत में उठी हुई मांगों को पूरा कर रही है। जिसे देखते हुए अब शायद कांग्रेस में भी कुछ बड़े फेरबदल देखने को मिल जाए क्योंकि पहले भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष जब जाट नेता था यानी सतीश पूनिया थे तो कांग्रेस ने भी गोविंद सिंह डोटासरा को जाट नेता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। ऐसे में अब कांग्रेस का कदम क्या होने वाला है पूरे देश की नजरें इस पर भी टिकी रहेंगी।

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