राजस्थान में पार्टियों को चंदा देने की आड़ में कालेधन को कर रहे सफेद, आयकर विभाग ने कसी नकेल

राजस्थान में चंदे की आड़ में कालेधन को सफेद करने के धंधे पर आयकर विभाग ने नकेल कस दी है।

Income tax department | Sach Bedhadak

(हिमांशु शर्मा) जयपुर। राजस्थान में चंदे की आड़ में कालेधन को सफेद करने के धंधे पर आयकर विभाग ने नकेल कस दी है। प्रदेश में विभाग के सर्च अभियान में कागजों में राजनीतिक पार्टी चलाने वालों की एक लम्बी लिस्ट सामने आई है। यह दल आयकर की श्रेणी में आने वाली फर्मों और व्यक्तियों से एक नंबर में पैसा जमा करके उन्हें दो नंबर यानि ब्लैकमनी के तौर पर पैसा लौटा रही है। इस खेल में कागजी राजनीतिक दल और आयकर दाता विभाग को करोड़ों के टैक्स का चूना लगा रहे हैं। आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2019-20 के लिए ऐसे काम में लिप्त आयकरदाताओं और राजनीतिक पार्टियों को पिछले महीने तक ये करीब तीन हजार नोटिस जारी किए हैं।

हालांकि आयकर विभाग की यह काईवाई पूरे देश में बताई जा रही है। अब नोटिस जारी करने के बाद विभाग को जवाब का इंतजार है। इसके बाद गलत तरीके से टैक्स बचाने वालों पर जुर्माने के साथ विभाग अन्य तरीके की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। राजस्थान में करीब-करीब सभी बड़े शहरों जैसे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, भरतपुर, दौसा, अलवर, टोंक में ऐसे लोगों को आयकर की धारा 148 के तहत नोटिस थमाए गए हैं। अकेले जयपुर में एक हजार से अधिक नोटिस दिए गए हैं। राजस्थान में जनतावादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी सेक्यूलर, लोक कल्याण पार्टी, युवाजन जागृति पार्टी, भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी, राष्ट्रीय कौमी एकता पार्टी 23 कुल दल शैल कंपनियों की तरह है। यह पार्टियां उन लोगों ने बनाई है, जिनके पास ब्लैक मनी है।

Income tax department : 35 फर्जी मध्यस्थ संस्थाएं

पिछले साल आयकर विभाग ने तलाशी अभियान चलाकर कुल 23 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, 35 फर्जी मध्यस्थ संस्थाएं और 3 प्रमुख निकास प्रदाताओं के यहां तलाशी अभियान चलाया था। मुख्य रूप से यह अभियान अहमदाबाद में चलाया गया था। तलाशी के दौरान फर्जी चंदा रसीदों से संबंधित बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले। आईटी की इस कार्रवाई से प्रदेश के ऐसे सैंकड़ों आयकरदाताओ में हड़कंम मचा हुआ हैं।

जांच में सामने आया कैसे चलता है कर चोरी का खेल

आयकर विभाग की जांच में सामने आया है कि यह कागजी राजनीतिक दल चेक, आरटीजीएस, एनआईएफटी के माध्यम से चंदे की राशि को जमा करते हैं। फिर पांच से दस प्रतिशत की राशि कमीशन के रूप में काटकर बाकी रकम नकद वापस चंदा देने वालों को लौटा दिया जाता है। चंदे की रसीद दिखाकर टैक्स चोरी करने वाला व्यक्ति या फर्म आयकर छूट का क्लेम कर देती है। वहीं राजनीतिक दल अपने दो नम्बर की राशि को एक नम्बर में कर रहे थे। एक तरह से ये शैल संस्थाओं के रूप में काम कर रही हैं। इन दलों ने स्वीकार कर लिया है कि वे कमीशन काटकर चंदा देने वालों को नकद राशि लौटा देते थे। इसके बाद आयकर विभाग ने चंदा देने वालों को नोटिस देना शुरू किया।

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