रजनी ने फतेह किया ‘किलिमंजारो’ पर्वत… बन गईं सीकर की शेरनी

रजनी जनवरी में अफ्रीका के 19,341 फीट उंची किलिमंजारो पर्वत श्रृंखला को माइनस 30 डिग्री तापमान में, जिसे अफ्रीका का एवरेस्ट भी कहा जाता है, को फतेह कर लौटी हैं। ये चढ़ाई उन्होंने 66 घंटे में पूरी की।

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बचपन से कुछ अलग करने का इरादा था सीकर की रजनी का। अपने आत्मविश्वास और मजबूत इरादों से बन गईं सीकर की शेरनी। जिसने ईस्ट अफ्रीका की बेहद दुर्गम किलिमंजारो चोटी को फतेह कर खुद को साबित भी किया। सीकर के पास खंडेला के प्रतापपुर गांव की रहने वाली रजनी बताती हैं, अच्छी एजुकेशन के लिए घरवालों ने बचपन में बॉयज हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया था।

वे कहती हैं, उस समय तो मुझे बुरा लगा कि ऐसा क्यूं किया उन्होंने, क्या है ये सब। मैं हॉस्टल में अकेली लड़की थी उस समय लेकिन आज मुड़कर पीछे देखती हूं तो अहसास होता है कि उनका फैसला कितना सही था। को-एड में पढ़ने से जो कॉन्फिडेंस आया वो और कहीं से हासिल नहीं हो सकता था। जीवन में कई चैप्टर ऐसे होते हैं जिन्हें खुद के बूते ही सीखा जा सकता है।

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माइनस 30 डिग्री में की चढ़ाई

रजनी जनवरी में अफ्रीका के 19,341 फीट उंची किलिमंजारो पर्वत श्रृंखला को माइनस 30 डिग्री तापमान में, जिसे अफ्रीका का एवरेस्ट भी कहा जाता है, को फतेह कर लौटी हैं। ये चढ़ाई उन्होंने 66 घंटे में पूरी की। तंजानिया के किलिमंजारो पर्वत को अफ्रीका का सबसे दुर्गम पर्वत माना जाता है।

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पेरेंट्स से बढ़कर कोई वेलविशर नहीं

रजनी कहती हैं, आम बच्चों की तरह पढ़ती थी, नॉर्मल लाइफ थी मेरी, लेकिन अच्छी एजुकेशन नहीं थी गांव में इसलिए घरवालों ने बॉयज हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया। वहां के अलग चैलेंज थे लेकिन उनसे खुद अकेले सामना करना पड़ा और फिर जो आत्मविश्वास मुझमें आया वो बेमिसाल था। वहां रहकर मेरे माइंड सेट में चेंज आया यही मेरे जीवन का टर्निंग पाइंट बना। आज जो कु छ अचीव किया उसकी नींव बचपन में ही डल गई थी।

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टफ करने की थी चाह

रजनी कहती हैं, कॉलेज में पढ़ने के दौरान खयाल आते थे कि यहां से निकलकर कुछ लोग जॉब करेंगे, कोई अपना काम करेगा। मैं कुछ अलग करना चाहती थी जो टफ हो। एवरेस्ट फतेह करने की चाह थी। पर पता नहीं था कि एवरेस्ट की तैयारी कहां और कै से होती है। फिर लोगों से पूछते-पूछते पता किया तो लिंक निकलते गए। फिर यही मेरा पैशन बन गया। रजनी ने हिमाचल प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीटयूट ऑफ माउंटयेनिरिंग एंड अलाइड स्पोर्टस से टेनिंग ली। जुंबा और योग सीखते हुए ही पर्वतारोहण की ओर झुकाव हुआ।

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एक बैग से निकल सकती है लाइफ

बिगनर्स को सुझाव देते हुए रजनी कहती हैं, पर्वतारोहण के बेसिक और एडवांस कोर्स होते हैं। भारत में पांच इंस्टीटयूट हैं। एक महीने की ट्रेनिंग में मानसिक रूप से इतना स्ट्रॉन्ग बना दिया जाता है कि आप हर मुसीबत को आसानी से हैंडल कर सकें। वेसिखाते हैं कि आपकी पूरी जिंदगी एक बैग से भी आसानी से निकल सकती है। युवा खुद में भरोसा रखें। चीजों से ज्यादा खुद से प्यार करें।

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