Rajasthan Election 2023: राजनीतिक दलों की गणित से उलट गई थी तीन प्रत्याशियों की किस्मत

Rajasthan Election 2023: कामां में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी रवीन्द्र जैन बताते हैं कि चूंकि मनोहर लाल 1972 में कामां से जनसंघ के टिकट पर चुने गए थे। अब दोनों में मुकाबला होने पर एक समुदाय के होने के कारण हार जाएंगे। इस आशंका पर उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चुनाव मैदान से हटने की अनुमति मांगी।

rajasthan election 2023 16 | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023: चुनावी इतिहास के झरोखे की इस कथा को हम बीजगणित से शुरू करते हैं। आप चौंक गए ना- बात ही कुछ ऐसी है- चुनाव और बीजगणित। जब हम बीजगणित में कोई सवाल हल करते हैं तो ‘मान लीजिए’ का फार्मूला अपनाते हैं। तो इस चुनावी चर्चा को बीजगणित के फार्मूले से समझते हैं। तो मान लीजिए कि आपने तथा आपके परिचितों ने कम से कम दो निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र भर दिए। अब इनकी जांच हो गई। नाम वापस लेने के बाद उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न भी आवंटित हो गए। लेकिन यह क्या? महज 48 घंटों में प्रत्याशियों के चुनाव चिह्न भी बदल गए और उन्हें दो निर्वाचन क्त्षे रों से चुनाव लड़ने की छूट भी मिल गई। यह चुनावी खेल आज से 43 साल पहले भरतपुर जिले में वर्ष 1980 में खेला गया। इस चुनावी कथा में हम भरतपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र कामां, डीग और नगर के चुनावी खेल की चर्चा करेंगे। अब इनका

भौगोलिक चेहरा बदल गया है। नए जिले बनाने की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ताबड़‌तोड़ घोषणा से ये तीनों क्षेत्र नवगठित डीग जिले के हिस्से हैं। निर्वाचन विभाग के सूत्रों के अनुसार पहले चुनाव चिह्न बदलने की अनुमति की विशेष व्यवस्था थी। बाद में नामांकन के अंतिम दिन पार्टी के चुनाव चिह्न आवंटित करने की अनुमति दी जाने लगी।

यह खबर भी पढ़ें:-‘पनौती’ और ‘जेबकतरे’ वाले बयान पर चुनाव आयोग का एक्शन, राहुल गांधी को भेजा नोटिस

जहां से पार्टी उम्मीदवार थे वहां बन गए निर्दलीय प्रत्याशी

तो शुरुआत कामां से। जनसंघ के पुराने नेता रवीन्द्र जैन भाजपा प्रत्याशी बने। मनोहर लाल गुप्ता ने कामां सहित डीग से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी और मुराद खां एवं मजलिस खां में कामां एवं नगर क्षेत्र से नाममदगी के पर्चे भर दिए हैं। इनके अलावा अन्य उम्मीदवार भी थे। राजनीतिक दलों का चुनावी खेल यहां से शुरु होता है। चुनाव चिह्न आवंटित 5 मई को हुए और उनमें परिवर्तन कराया जाता है 7 मई को। प्रत्याशियों की गोटियां बदल दी गई। कांग्रेस (आई) ने कामां में पहले मुराद खां को और बाद में मनोहर लाल गुप्ता को प्रत्याशी बनाया।

मुराद खां अब नगर से उम्मीदवार बनाए गए। इसी प्रकार कांग्रेस (आई) ने मजलिस खां को कामां के स्थान पर नगर क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया। राजनैतिक दलों के इस चुनावी खेल के चलते मनोहर लाल गुप्ता डीग से और मुराद खां एवं मजलिस खां कामां निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय हो गए। नगर से कांग्रेस प्रत्याशी कर्णसिंह मैदान से बाहर हो गए।

अकेले मुराद खां को मिली जीत

कामां में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी रवीन्द्र जैन बताते हैं कि चूंकि मनोहर लाल 1972 में कामां से जनसंघ के टिकट पर चुने गए थे। अब दोनों में मुकाबला होने पर एक समुदाय के होने के कारण हार जाएंगे। इस आशंका पर उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चुनाव मैदान से हटने की अनुमति मांगी। उन्हें चुनाव लड़ने को कहा गया। नतीजा यह निकला कि जनता पार्टी (चरण सिंह) के हाजी चांव खां चुनाव जीत गए। मनोहर लाल दूसरे तथा रवीन्द्र जैन तीसरे स्थान पर रहे। नगर से दूसरा चुनाव लड़ने वाले मजलिस खां को के वल 90 वोट तथा मुराद खां के हिस्से में 357 वोट आए। वहीं मनोहर लाल की ‘चिड़िया’ डीग में 92 वोट चुन पाई।

यह खबर भी पढ़ें:-Rajasthan Election: प्रदेश में थम गया चुनाव प्रचार का शोर, अब घर-घर जाकर वोट मांगेंगे प्रत्याशी

वर्ष 1978 से 81 तक कामां की जुरहरा पंचायत के सरपंच एवं बाद में प्रधान बने रवीन्द्र जैन की खोरा सरपंच मजलिस खां से दोस्ती थी तब मजलिस ने मुराद के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी। लेकिन नगर में दोनों के चुनाव लड़ने पर मुराद खां चुने गए व मजलिस तीसरे नम्बर पर रहे। इधर डीग से राजा मानसिंह निर्वाचित हुए।