Rajasthan Election 2023: प्रचार सामग्री की दुकानें सजधज कर तैयार, पर ग्राहकों का इंतजार

Rajasthan Election 2023 : प्रदेश में चुनावी माहौल धीरे-धीरे परवान पर चढ़ रहा है। सभी पार्टियों की ओर से लगातार घोषित हो रहे उम्मीदवारों के नाम लगातार इस माहौल को रोमांचक बना रहे हैं। लेकिन कुछ कमाने की उम्मीद में पांच साल चुनावों का इंतजार करने वाले व्यापारियों के लिए अभी बाजार उस रंग में नहीं आ पाया है जिसकी उन्हें उम्मीद रहती है।

Rajasthan Election 2023 4 | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023 : प्रदेश में चुनावी माहौल धीरे-धीरे परवान पर चढ़ रहा है। सभी पार्टियों की ओर से लगातार घोषित हो रहे उम्मीदवारों के नाम लगातार इस माहौल को रोमांचक बना रहे हैं। लेकिन कुछ कमाने की उम्मीद में पांच साल चुनावों का इंतजार करने वाले व्यापारियों के लिए अभी बाजार उस रंग में नहीं आ पाया है जिसकी उन्हें उम्मीद रहती है। बात हो रही है चुनाव प्रचार सामग्री के व्यापार की। केवल राजधानी की बात करें तो यहां आधा दर्जन से अधिक दुकानें ऐसी हैं जो राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं, चुनाव लड़ने वाले नेताओं आदि को चुनाव प्रचार सामग्री मुहैया कराती हैं। लेकिन कई कारणों से यह धंधा अब पहले जैसा नहीं रहा।

दोनों पार्टियों के करीब तीन चौथाई उम्मीदवार घोषित हो जाने के बावजूद अब तक चुनाव प्रचार सामग्री के व्यापार में तेजी देखने में नहीं आई है। हालांकि व्यापारियों को उम्मीद है कि सभी प्रत्याशी घोषित होने के बाद व्यापार में तेजी आएगी। चुनाव से पहले के करीब 15 दिन इस व्यापार के लिए खास होंगे। जानकारों की मानें तो सोशल मीडिया पर प्रचार करने की प्रवृत्ति से लेकर बड़ी पार्टियों की ओर से खुद ही प्रचार सामग्री की मैन्युफैक्चरिंग करने सहित कई कारण हैं जिनके चलते यह व्यवसाय अब फायदे का सौदा नहीं रहा है।

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सोशल मीडिया ने छीना व्यापार

प्रचार सामग्री व्यापारियों का कहना है कि जैसे जैसे सोशल मीडिया पर प्रचार का ट्रेंड बढ़ रहा है, उनका व्यापार काफी प्रभावित हो रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से जितने बड़े समूह तक पहुंच बनाई जा सकती है वह सामान्य प्रचार से संभव नहीं है। साथ ही सोशल मीडिया कैं पेन से लोगों में एक अलग किस्म का माइंडसेट सेट किया जा सकता है। यह सस्ता भी है, यहां तक कि मुफ्त में भी किया जा सकता है। ऐसे में अिधकांश चुनावी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान में सोशल मीडिया को तरजीह देने लगे हैं जिससे प्रचार सामग्री व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है।

पार्टियां खुद बनी ‘दुकान’

छोटी चौपड़ पर प्रचार सामग्री का व्यापार करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि किसी समय उनके पूरे व्यापार का बड़ा हिस्सा राजनीतिक दलों से बल्क में मिलने वाले ऑर्डर्स से आता था। आजकल सामग्री की कोस्ट कम करने के लिए कई पार्टियां खुद ही प्रचार सामग्री की मैन्युफै क्चरिंग करवा कर अपने उम्मीदवारों को वितरित कर रही हैं। इसके चलते बिजनेस छोटी पार्टियों के या निर्दलीय उम्मीदवारों के भरोसे रह गया है।

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टिकट वितरण के बाद बूम की उम्मीद

अभी कई सीटों पर टिकटों का वितरण भी नहीं हुआ है। जयपुर शहर में ही कई महत्वपूर्ण सीटों पर अभी उम्मीदवार फाइनल नहीं हैं। व्यापारियों का कहना है कि सभी उम्मीदवार फाइनल होने के बाद व्यापार में बूम आने की उम्मीद है। इसके लिए सभी दुकानदारों ने अपना स्टॉक फुल कर लिया है और लगातार प्रचार सामग्री की मैन्युफै क्चरिंग चल रही है।

आजकल धंधा के वल 10-15 दिन का ही रह गया है। सभी टिकट कन्फर्म होने के बाद धंधा कु छ बढ़ने की उम्मीद है। हमारे पास सभी पार्टियों के मैटिरियल का भरपूर स्टॉक है और ऑर्डर पर भी तैयार करवाने की व्यवस्था है। विष्णु अग्रवाल, छगनलाल एंड संस, त्रिपोलिया बाजार