Rajasthan Election 2023 : अब तक 81 बार रक्तदान कर चुके हैं पांच बार के विधायक ज्ञानचंद पारख

Rajasthan Election 2023 : मई 1984 में ज्ञानचंद पारख ने टीम बनाकर रक्तदान अभियान का श्रीगणेश किया। स्वयं रक्तदान करते हुए टीम की मदद से वह अब तक 10 हजार यूनिट रक्त जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध करवा चुके हैं। आज भी रोजाना कहीं से फोन मिलने पर ज्ञानचंद पारख टीम से जुड़े सहयोगी अपने ब्लड ग्रुप की मांग पर रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं।

MLA Gyanchand Parakh | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023 : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार को रिपीट कराने के मकसद से वर्ष 2023 में विधानसभा सत्र में नए जिलों की अप्रत्याशित घोषणा के साथ जोधपुर संभाग के अन्तर्गत शामिल पाली जिले को संभाग मुख्यालय बनाया। यह प्रसंग पूर्व का है जब पाली जोधपुर संभाग का हिस्सा था और इससे जुड़े राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन से सड़‌क दुर्घटनाएं आम बात थी।

इसी मार्ग पर एक हादसे में बड़ी संख्या में मौतों तथा घायलों का समाचार मिला। तब मैं जोधपुर में कार्यरत था। फॉलोअप से पता चला कि कई घायलों की जान इसलिए बच गई कि उन्हें समय पर खून उपलब्ध कराया गया। पूछताछ से पता चला कि इसके पीछे सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानचंद पारख और उनके सहयोगियों का टीम वर्क था।

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अब आप सोचेंगे कि चुनावी चर्चा के दौर में रक्तदान की बात करने का औचित्य क्या है। तो इसका सीधा-सादा जवाब यह है कि यह कहानी उस ज्ञानचंद पारख की है जो अब तक 81 बार खुद रक्तदान कर चुके हैं तथा विधानसभा में पाली का प्रतिनिधित्व करते हैं। विधायक के रूप में भी उनके कीर्तिमान हैं। विद्यार्थी जीवन में युवाओं की टीम को संगठित कर समाज सेवा के रचनात्मक कार्यों में सक्रिय रहने की प्रेरणा पारख को अपने पिता घीसूलाल पारख से मिली। पाली अंचल में 92 वर्षीय पारख प्रमुख समाजसेवी के रूप में सम्मानित हैं। व्हील चेयर पर वह अपने बनवाए वृद्धाश्रम, गौशाला में नियमित रूप से जाते हैं।

मई 1984 में ज्ञानचंद पारख ने टीम बनाकर रक्तदान अभियान का श्रीगणेश किया। स्वयं रक्तदान करते हुए टीम की मदद से वह अब तक 10 हजार यूनिट रक्त जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध करवा चुके हैं। आज भी रोजाना कहीं से फोन मिलने पर ज्ञानचंद पारख टीम से जुड़े सहयोगी अपने ब्लड ग्रुप की मांग पर रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं। समय पर रक्त उपलब्ध होने से कई लोगों की जान बचाने में सहायता मिली है। रक्तदान सहित समाज सेवा के अन्य रचनात्मक कार्यो में सक्रियता के चलते ज्ञानचंद पारख को पार्षद चुना गया । वह 1994-99 की अवधि में पाली नगर परिषद के सभापति रहे।

शेखावत ने लड़वाया था पहला चुनाव

समाज सेवा में सक्रियता एवं रक्तदान अभियान से जुड़े युवक ज्ञानचंद पारख की लोकप्रियता की जानकारी मिलने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता भैरोंसिंह शेखावत ने उन्हें जयपुर बुलाकर पानी से विधानसभा चुनाव लड़‌ने को कहा। वर्ष 1998 से आरम्भ हुई पारख की चुनावी यात्रा अब तक जारी है और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विधायक के रूप में उन्होंने कई कीर्तिमान बनाए हैं। बिना निर्वाचन क्षेत्र बदले ज्ञानचंद पारख पांच बार पाली से चुनाव लड़कर विजयी हुए हैं और वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा टिकट पर चुनावी छक्का जड़‌ने की तैयारी में हैं। उनके कामकाज तथा सद्व्यवहार को देखते हुए पार्टी ने उन्हें सहजता से बिना मांगे टिकट थमाया।

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पांच बार जीते, हर बार जीत का अंतर बढ़ा

पारख के पाली से विधायक का चुनाव लड़ने की भी एक अजब कहानी है। उनका मुकाबला पाली की राजनीति के धुरंधर भीमराज भाटी से अलगअलग रूप में होता आया है। भाटी कभी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तो कभी पार्टी से विद्रोह करके बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदते हैं लेकिन उनकी दाल अभी तक नहीं गली। वर्ष 1998 में ज्ञानचंद पारख पहले चुनाव में साढ़े तीन हजार वोट से जीते। 2003 में साढ़े छह हजार मतों से जीते। 2008 में निर्दलीय लड़ रहे भाटी को साढ़े सत्रह हजार वोट से हराया। 2013 में साढ़े तेरह हजार वोट से और पिछले चुनाव में 19 हजार 386 मतों से जीते। पिछले पांच चुनावों में दो बार कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार