राजस्थान के ‘दादो सा’ का अंदाज था निराला, मोहल्ले के बच्चों को भी जानते थे भंवरलाल, 6 बार जीतने का बनाया रिकॉर्ड

Rajasthan Election 2023: भंवरलाल शर्मा की चुनावी सफलता का राज अपने क्षेत्र में गहरी पैठ से जुड़ा हुआ रहा। भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा एवं लीला स्थली ब्रज अंचल में प्रसिद्ध कहावत है- चूल्हे में जड़। कद में ठिगने भंवरलाल ने अपने व्यवहार एवं आचरण से इसे मूर्त रूप दिया। घर-घर में उनकी पहचान बड़े-बूढों ही नहीं बच्चों तक से रही, जिन्हें वह नाम तक से पुकार लेते थे।

bhanwar lal sharma | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023: एक जमाना था जब चुनावी शोरगुल से गली मौहल्ले गूंज उठते थे। चुनावी जुलूस, नुक्कड़ सभाएं, चुनाव चिह्न के बिल्लों के लिए बच्चों की छीना झपटी, रिक्शा तांगा या ऑटो रिक्शा पर प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव चिह्न पर क्रॉस वाली मोहर लगाकर वोट देने की अपील। घरों तथा बाजारों में विशेषकर राजनैतिक दल के झण्डे फर-फर फहराते थे। समय के साथ साथ सब बदलता चला गया। संचार क्रांति के नए युग में चुनाव भी हाईटेक हो गए हैं तथा चुनाव प्रचार का तौर तरीका भी नित नया रूप धारण करने लगा है।

वॉर रूम, चुनाव रणनीतिकार न जाने क्या क्या शब्दावली गढ़ी जाने लगी है। ऐसे माहौल की चुनावी दौड़ में किसी उम्मीदवार का झण्डा-डंडा की फितरत से परे रहकर महज एक पर्ची के सहारे एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए चुनावी छक्का लगाने में कामयाब हो जाना हतप्रभ कर जाता है। आप सोच रहे होंगे- भला यह कैसी जादुई पर्ची होती थी जिसमें चुनावी जीत दर्ज रहती थी। दरअसल यह उस निर्वाचन क्षेत्र में वितरित की जाने वाली पर्ची का कमाल था और इस पर्ची को तैयार करने वाले पार्टी कार्यकर्ता होते थे।

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इस पर्ची का खुलासा राजस्थान के विश्वविख्यात प्रतीक चिह्न से करते हैं जिसकी पहचान हवामहल के रूप में होती है। गुलाबी नगर जयपुर में यह राजस्थान विधानसभा का एक निर्वाचन क्षेत्र है। और हमारी इस जादुई पर्ची के नायक भंवरलाल शर्मा थे जिन्होंने 1977 से लगाकर 1998 तक लगातार छह चुनावों में सफलता हासिल की। लेकिन इससे पहले 1972 में किशनपोल क्षेत्र से भंवरलाल कांग्रेस के श्रीराम गोटेवाला से चुनावी हार का स्वाद चख चुके थे।

भंवरलाल शर्मा की चुनावी सफलता का राज अपने क्षेत्र में गहरी पैठ से जुड़ा हुआ रहा। भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा एवं लीला स्थली ब्रज अंचल में प्रसिद्ध कहावत है- चूल्हे में जड़। कद में ठिगने भंवरलाल ने अपने व्यवहार एवं आचरण से इसे मूर्त रूप दिया। घर-घर में उनकी पहचान बड़े-बूढों ही नहीं बच्चों तक से रही, जिन्हें वह नाम तक से पुकार लेते थे। उनकी स्निग्ध मुस्कान सामने वाले के अन्तःकरण को स्पर्श कर जाती।

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भंवर जी को चुनाव जीतने के लिए अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती थी। उनके शुभचिंतकों, समर्थकों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार की जाने वाली मतदाता पर्ची घर घर पहुंचाती और मतदान के लिए मतदाताओं में सबसे पहले वोट डालने की होड़ तक लग जाती। मतगणना से चुनावी जीत की खबर मिलते ही पर्ची बनाने और वितरित करने वालों का जोश देखते ही बनता था।

मंत्री बने पर सादगी रही बरकरार

सीए शंकर अग्रवाल बताते हैं कि जयपुर नगर निगम के प्रथम महापौर मोहन लाल गुप्ता ने एक बार जोश में आकर निर्वाचन क्षेत्र में झंडे लगवा दिए तो भंवर जी नाराज हो गए । महापौर बनने पर भंवर जी ने मोहनलाल गुप्ता को सलाह दी कि वे महापौर की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करें। तब मोहनलाल गुप्ता का जवाब था कि भंवर जी भाई साहब आपकी अपनी पहचान है पर हमारी पहचान तो मेयर की गाड़ी से ही होगी। भंवर जी भैरोंसिंह शेखावत मंत्रीमंडल में वरिष्ठ मंत्री रहे लेकिन उनकी साद‌गी-सरलता बरकरार रही।

छह बार लगातार जीतने का बनाया रिकॉर्ड

भंवर जी के चुनावी सफर की शुरुआत आपातकाल के पश्चात वर्ष 1977 में हुई। पहले चुनाव में उन्होंने 88.37 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस के रामेश्वर प्रसाद को 28017 मतों से पराजित किया। विपक्षी प्रत्याशी को मात्र 3642 वोट मिले। वर्ष 1980 के चुनाव में कांग्रेस के किशन सिंह आजाद को मिले 12978 वोट की तुलना में उनकी पराजय 16431 वोट से हुई। राजस्थान विधानसभा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे रामकिशोर व्यास तथा जाने माने एडवोकेट दूर्गा लाल बाढदार तथा पूर्व के न्द्रीय मंत्री नवल किशोर शर्मा के पुत्र बृजकिशोर शर्मा ने हवामहल निर्वाचन क्षेत्र का दो-दो बार प्रतिनिधित्व किया है।

गिरधारी लाल भार्गव, सुरेन्द्र पारीक और महेश जोशी इस क्षेत्र से एक-एक पारी खेल चुके हैं। लेकिन लगातार छः चुनाव जीतने का कीर्तिमान भंवर जी के नाम पर दर्ज है। वहीं सर्वाधिक मतों के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी उनके नाम पर है। वर्ष 1977 के चुनाव में भंवर जी 28 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए थे।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार