सहमति से बने यौन संबंध…फिर भी फंस जाते हैं किशोर! क्या है रोमियो-जूलियट कानून, जो बनेगा सुरक्षा कवच

नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के मामलों में अभी तक पॉक्सो ही लगता है.

sb 1 2023 08 21T144457.024 | Sach Bedhadak

Romeo Juliet Law: आपने देखा होगा कि किशोरावस्था में किसी तरह की सहमति या जबरदस्ती से बनाए शारीरिक संबंधों में अगर लड़की गर्भवती हो जाए तो कानूनी लड़ाई में लड़के को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है जहां नाबालिगों को यौन अपराध से बचाने के लिए पॉक्सो एक्ट यानी द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफंसेंस एक्ट लगाया जाता है जिसमें लड़के पर दुष्कर्म का अपराध दर्ज किया जाता है.

वहीं ऐसे मामलों में एक बहस काफी समय से होती रही है कि अगर संबंध लड़का और लड़की दोनों की सहमति से बने हैं फिर भी सजा सिर्फ लड़के को क्यों दी जाती है? अब हाल में सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है जिसमें रोमियो जूलियट कानून के तहत किशोरों को इम्युनिटी देने की मांग की गई है.

बता दें कि अभी अगर 18 साल से कम उम्र के किशोर अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाएं और लड़की गर्भवती हो गई तो लड़के पर दुष्कर्म का केस दर्ज किया जा सकता है और अगर 16 साल से कम उम्र की लड़की हो, सहमति हो तो भी धारा 375 के तहत रेप का केस बन जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि रोमियो-जूलियट कानून क्या है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है.

क्या है रोमियो-जूलियट कानून ?

बता दें कि रोमियो-जूलियट कानून के तहत आपसी सहमति से बनने वाले संबंधों में लड़के के लिए प्रोटेक्शन की मांग की जाती है जहां कानून कहता है कि कोर्ट कम से कम 16 से 18 साल के किशोरों के बीच स्वेच्छा से बने संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए.

हालांकि इससे कम उम्र में सजा बरकरार रहने का भी कानून में जिक्र है. वहीं याचिका में कहा गया है कि आजकल किशोरों के पास अपनी समझ है ऐसे में वह सोच समझकर ही फैसला लेते हैं. इसके अलावा रोमियो-जूलियट कानून कुछ खास स्थितियों में ही लड़कों को इम्युनिटी देता जहां अगर लड़का और लड़की के बीच उम्र का ज्यादा फासला है तो उस पर केस बनेगा.

अब क्यों होने लगी चर्चा?

रोमियो-जूलियट कानून को लेकर याचिका दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पॉक्सो जैसे कानून की वजह से एक पक्ष को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा कई देशों में रोमियो-जूलियट कानून के तहत नाबालिगों को यौन संबंध में इम्युनिटी दी गई है जहां अगर वो अपनी सहमति से संबंध बनाते हैं तो कंसेंट की उम्र तय कर दी गई है.

हालांकि कई मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं का कहना है कि कंसेंट की कम उम्र के चलते किशोर उम्र में ही प्रेग्नेंसी के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं और इसके बाद लड़की की पढ़ाई और नौकरी जैसे काम छूट जाते हैं और कई इलाकों में उसकी शादी करवा दी जाती है.

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