सुल्तानपुर का गुड्डू कैसे बना केजरीवाल का ‘दुलारा’, संजय का UP से दिल्ली तक का सफर रहा बेहद रोचक

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी से सियासी बवंडर छिड़ा हुआ है।

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Sanjay Singh : नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी से सियासी बवंडर छिड़ा हुआ है। ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आप सांसद संजय सिंह के घर सहित कई ठिकानों पर चली कार्रवाई के अगले दिन बुधवार को गिरफ्तार किया था। बता दें कि 51 साल के संजय सिंह तीसरे ‘आप’ नेता हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। लेकिन, आपको बता है कि संजय सिंह का अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा और वे कैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चहेते बन गए। आईये जानते है कि इनके जीवन से जुड़ी कई रोचक बातें…

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर निवासी संजय सिंह एक समाजसेवी के रूप में दो दशकों तक पीड़ितों के आंसू पोंछने की कोशिश करते रहे। लेकिन बाद में राजनीतिक में एंट्री कर ली। संजय सिंह ने साल 2000 में उड़ीसा स्कूल ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग से खनन अभियांत्रिकी में डिप्लोमा किया था। लेकिन, नौकरी में की जगह उन्होंने समाज सेवा में रूची दिखाई। बस फिर क्या था वो दो दशकों तक लोगों के आंसू पोंछत रहे और हर मौकों पर उनके मुद्दों को उठाते रहे। संजय सिंह ने साल 1998 में आजाद समाज सेवा समिति नाम की एक सामाजिक संगठन की स्थापना की। यह संगठन सुल्तानपुर के हसनपुर गांव में शहिद चंद्रशेखर आजाद बालिका विद्यालय चलाता है। यह विद्यालय कम फीस व योग्य गरीब बच्चों के लिए मुफ्त में शिक्षा प्रदान करता है।

ऐसे हिट होता चला गया सुल्तानपुर का गुड्डू

सुल्तानपुर के गभड़िया मोहल्ले में रहने वाले संजय सिंह को लोग गुड्डू के नाम से जानते है। उनके परिवार का राजनीति से कोई नाता नहीं है। वो पढ़ाई के समय से ही लोगों की सेवा के लिए प्रयासरत रहे। हालांकि, संजय सिंह ने कुछ दिन धनबाद में नौकरी की। लेकिन, बाद में नौकरी छोड़ समाज सेवा में जुट गए। उन्होंने स्वदेशी अपनाओं विदेशी भगाओ नारे के साथ जगह-जगह आंदोलन चलाया। जब उन्होंने गरीबों की सेवा के आंदोलन चलाया तो वो मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय के संपर्क में आए।

साल 1998 में उनकी मुलाकात समाजवादी नेता रघु ठाकुर से हुई। इसके बाद ठाकुर ने संजय सिंह को लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी का सुल्तानपुर इकाई का अध्यक्ष बना दिया। इस दौरान वो समाजवादी नेता त्रिभुवन नाथ संडा के बेटे अनूप संडा भी जुड़े थे। लेकिन, राजनीति में एंट्री के बाद भी वो लगतार समाज सेवा के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे। जब अनूप संडा ने सपा का दामन थामा तो संजय भी उनके साथ चल दिए। साल 2007 में संडा सुल्तानपुर से विधायक चुने गए। लेकिन, संजय सिंह ने उनका साथ नहीं छोड़ा। समाजवादी पार्टी ने संजय सिंह को युवजन सभा का प्रदेश सचिव बना दिया।

ऐसे केजरीवाल के चहेते बन गए संजय सिंह

भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने वाले संजय सिंह केजरीवाल के बुलावे पर दिल्ली आए और अन्ना हजारे के लोकपाल बिल आंदोलन में शामिल हुए। तब से ही संजय सिंह धीरे-धीरे केजरीवाल के चहेते बनते चले गए। दिल्ली में बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करने का मौका मिला तो संजय ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। अरविंद केजरीवाल ने संजय सिंह को इंडिया अगेंस्ट करप्शन कमेटी में जगह दी। इतना ही नहीं, जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो संजय सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। इसके बाद संजय सिंह उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित कई प्रांतों के प्रभारी भी बने। संजय सिंह साल 2018 में दिल्‍ली से आप के कोटे से राज्‍यसभा सांसद बनाए गए। वो आम आदमी पार्टी की निर्णय लेने वाली संस्था, राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के सदस्य भी हैं।

संजय सिंह का जीवन परिचय

संजय सिंह का जन्म 22 मार्च 1972 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ। यहां के लोग संजय को गुड्डू के नाम से जानते है। साल 2000 में उड़ीसा स्कूल ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग से खनन अभियांत्रिकी में डिप्लोमा किया था। संजय सिंह के पिता दिनेश सिंह और माता राधिका सिंह सेवानिवृत शिक्षक हैं। संजय सिंह का भाई भी अमेरिका में इंजीनियर है। संजय सिंह की शादी अनिता सिंह से हुई है और इनके एक बेटा और एक बेटी है।

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