ISRO को मिली एक और कामयाबी, अब भारत के सैटेलाइट मिशन से अंतरिक्ष में नहीं बिखरेगा मलबा

दुनिया की अग्रणी स्पेस कंपनियों में अपनी जगह बना चुकी इसरो (ISRO) ने एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है। भारत के सैटेलाइट पीएसएलवी ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन पूरा कर लिया। यह मिशन अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।

ISRO | Sach Bedhadak

नई दिल्ली। दुनिया की अग्रणी स्पेस कंपनियों में अपनी जगह बना चुकी इसरो (ISRO) ने एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है। भारत के सैटेलाइट पीएसएलवी ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन पूरा कर लिया। यह मिशन अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। इससे फायदा यह होगा कि अब इसरो नए मिशन के लिए जो भी रॉकेट लॉन्च करेगा, उसका मलबा अंतरिक्ष में नहीं बिखरेगा। इसरो ने इस मिशन को ऐसे समय में पूरा किया है जब दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष में मलबा एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

इसरो ने जानकारी दी कि उसके ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन पूरा कर लिया है। पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-3 (पीओईएम-3) नेपृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश किया और अपने मिशन को पूरा किया। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा कि पीएसएलवी -सी58/ एक्सपोसैट मिशन ने व्यावहारिक रूप से कक्षा में शून्य मलबा छोड़ा है। अब भारत अंतरिक्ष में कोई भी सैटेलाइट लॉन्च करेगा तो उसका मलबा अंतरिक्ष में नहीं बिखरेगा।

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एक्सीडेंट का खतरा भी कम

इसरो के मुताबिक, किसी भी सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित करने के बाद पीएसएलवी तीन हिस्सों में बंट जाता है। इसे पीओएम-3 कहा जाता है। इसमें पीएसएलवी को पहले 650 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा से 350 किलोमीटर वाली कक्षा में लाया गया। इससे पीएसएलवी जल्दी ही अपनी कक्षा में प्रवेश कर गया। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कक्षा बदलने के दौरान किसी भी सैटेलाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा कम हो जाएगा।

एक महीने में तैयार हुए पेलोड

पीओईएम-3 पर जो पेलोड लगाए गए हैं उन्हें एक महीने के अंदर तैयार किया गया है। यह प्रायोगिक पेलोड हैं। इसरो ने इसमें निजी भागीदारी को भी शामिल किया है। हाल ही में इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक को लेकर एक सफलता हासिल की थी। इसरो की रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक (लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक) का परीक्षण सफल रहा था।

चंद्रयान-3 की लैंडिग साइट शिव-शक्ति को IAU की मंजूरी

हाल ही में इसरो ने चंद्रयान-3 को लेकर फिर से सुर्खियां तब बटोरी। जब अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 19 मार्च को चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट के लिए ‘शिव शक्ति’ नाम को मंजूरी दे दी। यह नाम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 अगस्त, 2023 को मिशन की सफलता की घोषणा के बाद दिया गया था।

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