Independence Day : बला की खूूबसूरत इन 5 वीरांगनाओं ने हिला दी थीं अंग्रेज सरकार की जड़ेें

Independence Day : हमारे देश की आजादी की लड़ाई में जितना योगदान क्रांतिवीरों का है, उतना ही देश की बहुत सी वीरांगनाओं का भी है।…

desh 2 | Sach Bedhadak

Independence Day : हमारे देश की आजादी की लड़ाई में जितना योगदान क्रांतिवीरों का है, उतना ही देश की बहुत सी वीरांगनाओं का भी है। लेकिन जब आजादी के नायकों की बात की जाती है तो इन नायिकाओं को भुला दिया जाता है। लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव और देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर हम आपको इन बला की खूबसूरत वीरांगनाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने अंग्रेज सरकार की जड़ें हिला दी थीं।

रानी लक्ष्मी बाई

देश की आजादी की लड़ाई की जब भी बात होती है रानी लक्ष्मी बाई का नाम सबसे पहले आता है। 19 नवंबर 1835 को वाराणसी में जन्मीं मणिकर्णिका साल 1850 में झांसी की रानी बन गईं। आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का हाल-बेहाल कर दिया था। वे देखने में जितनी खूबसूरत थीं उतनी ही निडर औऱ साहसी भी। जीते जी औऱ वीरगति को प्राप्त होने के बाद भी अंग्रेज उन्हें हाथ तक न लगा सके।

रानी चेनम्मा

रानी चेनम्मा को कर्नाटक की रानी लक्ष्मीबाई कहा जाता है। तो नाम की उपाधि से पता चल जाता है कि रानी चेनम्मा किस स्तर की साहसी और चतुर रही होंगी। वह पहली भारतीय शासक थीं जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया था। यहां यह बात सबसे खास है कि उनकी सेना अंग्रेजी सेना के आगे बेहद छोटी थी, लेकिन अपने युद्ध कौशल और देश की आजादी का सपना आंखों में संजोए उन्होंने अंग्रेजों से कड़ी टक्कर ली, एक बार तो अंग्रेजों को लगने लगा कि अब रानी हाथ नहीं आएगी। लेकिन सैनिकों की संख्या कम होने के चलते रानी चेनम्मा पकड़ी गईं और गिरफ्तार कर ली गईं।

बेगम हजरत महल

बेगम हजरत महल का नाम 1857 की क्रांति में शामिल हुई पहली महिला योद्धा के रुप में भी लिया जाता है। बला की खूबसूरत हजरत महल ने अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति औऱ साहस से अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी थी। वे अवध के शासक वाजिद अली शाह की पहली बेगम थीं। बेगम हजरत का परिवार बेहद गरीब था। परिवार की गरीबी के चलते उन्हें शाही राजघरानों में नाचकर अपने परिवार का पेट तक पालना पड़ा था। हजरत महल बेहद खूबसूरत थीं। उनकी खूबसूरती पर अवध के नवाब मुग्ध हो गए। जिसके बाद उन्होंने बेगम से शादी कर ली। इसी के बाद उन्हें बेगम हजरत महल का नाम दिया गया। अंग्रेजों ने जब अवध के नवाब को बंदी लिया था, तो अकेली बेगम ने अपनी सेना की छोटी सी टुकड़ी के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया था। बेगम के युद्ध कौशल और वीरता के आगे अंग्रेज टिक न सके। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के तहत लखनऊ में हुए विद्रोह में उन्होंने अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए। अपने दम पर उन्होंने पूरे अवध राज्य को ब्रिटिश सरकार से मुक्त करा लिया और लखनऊ पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया।

झलकारी बाई

देश की आजादी की लड़ाई में जब जब झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का नाम लिया जाता है, झलकारी बाई का नाम खुद ब खुद आ जाता है। झलकारी बाई को रानी लक्ष्मी बाई की परछाई कहा जाता है। झलकारी बिल्कुल रानी की तरह दिखती थी। अंग्रेजों से युद्ध में रानी लक्ष्मी बाई ने झलकारी की इसी विशेषता को युद्ध की रणनीति के रूप में धार दी। अंग्रेजों से लड़ते वक्त जब लक्ष्मी बाई किले से बाहर होती तो दूसरी तरफ झलकारी बाई रानी का वेश धारण कर रानी की तरह किले में रहती ताकि अंग्रेज रानी लक्ष्मी बाई को न पकड़ सकें। इस तरह झलकारी ने एक नहीं बल्कि कई बार रानी को अंग्रेजों के हाथों बचाया।

रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती का सामना अंग्रेजों से कम लेकिन मुगल सेना से ज्यादा हुआ है। मुगलों की क्रूर सेना के आगे रानी ने ऐसे दमखम दिखाए कि मुगलों की गद्दी दिल्ली तक डगमगा गई। वह भी ऐसे समय जब देश के कई हिंदू राजाओं ने मुगलों के आगे समर्पण कर दिया था। एक अकेली रानी दुर्गावती ही थी जो सीना तानकर मुगलों के सामने मुकाबले के लिए खड़ी थीं। अपने छोटे से बेटे के साथ उन्होंने मुगलों से युद्ध किया। पीठ पर अपने बेटे को बांधे, घोड़े पर बैठकर, दोनों हाथों में तलवार और कटार लेकर रानी मुगल सेना को गाजर मूली की तरह काटते हुए चली जा रहीं थी। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों से लड़ी थीं। लेकिन इस युद्ध में उन्हें भी कई तीर लगे। कई घाव कई जख्म मिले, लेकिन अंतिम सांस तक उन्होंने तलवार नहीं छोड़ी। अंत में जब उन्हें लगा कि अब उनका बचना मुश्किल होगा, तब उन्होंने अपने मंत्री से उन्हें जान से मारने के लिए कहा, लेकिन मंत्री से अपनी रानी की जान नहीं ली गई। तब खुद रानी ने ही अपनी कटार अपने शरीर में घोंप ली। इस तरह से रानी वीरगति को प्राप्त हो गईं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *