कब और कैसे ‘सोमयान’ से बना ‘चंद्रयान’? जानें- भारत के मून मिशन का ‘अटल’ कनेक्शन

भारत का चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला है। इस ऐतिहासिक पल का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

Atal Bihari Vajpayee

India Moon Mission : नई दिल्ली। भारत का चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला है। इस ऐतिहासिक पल का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वहीं, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए देशभर में पूजा-अर्चना का दौर जारी है। इस मिशन के सफल होने के साथ ही भारत भी अमेरिका, चीन और रूस की बराबरी कर लेगा। साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला पहला देश बन जाएगा। लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत के मून मिशन जिसे आज चंद्रयान के नाम से जाता है, उसका शुरुआत में क्या नाम था?

दरअसल, साल 1999 में भारतीय विज्ञान अकादमी की एक चर्चा के दौरान भारत मून मिशन की अवधारणा रखी गई थी। इसके बाद एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने साल 2002 में चंद्र मिशन की प्लानिंग को आगे बढ़ाया। उस वक्त भारत के मून मिशन का नाम ‘सोमयान’ रखा गया था, क्योंकि ये नाम वैज्ञानिकों की पहली पसंद था। लेकिन, अटल बिहारी वाजपेयी ने मिशन के नाम में बदलाव करते हुए ‘सोमयान’ की जगह ‘चंद्रयान’ रख दिया था। सोमयान नाम एक संस्कृत श्लोक से प्रेरित था और संस्कृत में चंद्रमा का ही दूसरा नाम सोम है।

डेकन क्रॉनिकल के मुताबिक साल 1999 में जब चंद्र मिशन को मंजूरी दी गई थी, उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। उन्होंने ने ही वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर खोज करने के लिए प्रेरित किया था। वैज्ञानिकों ने जब भारत के मून मिशन का नाम सोमयान बताया तो यह अटल बिहारी वाजपेयी को पसंद नहीं आया। इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने बताया कि वाजपेयी ने कहा था कि मिशन को सोमयान नहीं, बल्कि चंद्रयान कहना चाहिए। वाजपेयी ने कहा था कि देश आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और मिशन आगे चंद्रमा पर कई खोजपूर्ण यात्राएं करेगा।

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कब मिली थी भारत के मून मिशन को मंजूरी?

केंद्र सरकार ने नवंबर 2003 में भारत के मून मिशन के लिए इसरो के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। साल 2003 में भारत के 56वें ​​स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल किले की प्राचीर से भारत मून मिशन ऐलान करते हुए कहा था कि भारत साल 2008 तक चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान भेजेगा, इसे चंद्रयान कहा जाएगा। इसके बाद 22 अक्टूबर 2008 को भारत ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन, चंद्रयान-1 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो 2 सितंबर को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था और सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था। इसके बाद 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया, जिसकी आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होने वाली है।

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