राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के लिए क्यों अहम है निर्दलीय-छोटे दल? ऐसे समझे पूरा गणित

राजस्थान में इस बार किसकी सरकार बनेगी, यह तो आगामी 3 दिसंबर होने वाली मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा।

image 2023 11 27T150704.460 | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023 : जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का दावा कर रहे है। लेकिन, राजस्थान में इस बार किसकी सरकार बनेगी, यह तो आगामी 3 दिसंबर होने वाली मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा। हालांकि, यह तो साफ है कि इस बार बागी और अन्य पार्टियों के प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते है।

2013 में बीजेपी तो 100 सीटों का आंकड़ा अपने दम पर पूरा कर गई थी। लेकिन, साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 100 ही सीटें मिली थी। ऐसे में 100 के आंकड़े को पार करने के लिए कांग्रेस को निर्दलीय और छोटे दलों का समर्थन लेना पड़ा था। ऐसे में अगर इस बार भी दोनों में से कोई पार्टी 100 से ज्यादा हासिल नहीं कर पाई तो छोटे दलों का सहारा लेना पड़ेगा।

2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में 163 सीट आई थी। वहीं, कांग्रेस ने 21, निर्दलीय ने 7, बीएसपी ने 3, एनपीईपी ने 4 और एनयूजेडपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 73, कांग्रेस ने 100, निर्दलीय ने 13, बीएसपी ने 6, आरएलटीपी ने 3, बीटीपी ने 2, सीपीएम ने 2 और आरएलडी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी।

1998 से अब तक एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी

बता दे कि राजस्थान में 1998 से अब तक एक बार बीजेपी और एक कांग्रेस की सरकार बनती आ रही है। लेकिन, खास बात ये है कि इन दोनों ही पार्टियों को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ छोटे राजनीतिक दलों का सहारा लेना पड़ा है। अगर इस बार भी दोनों ही पार्टियों में से किसी को पूर्ण समर्थन नहीं मिला तो 200 विधानसभा सीटों में से 100 के जादुई आंकड़े को पार करने के लिए छोटे दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों का सहारा लेना पड़ेगा।

बागियों के साथ-साथ इन पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में

इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बागी नेताओं के साथ-साथ बसपा, आजाद समाज पार्टी, आईटीपी, एआईएमआईएम, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, बीएपी, अभय चौटाला की जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते है।

80 सीटों पर बागी व तीसरी पार्टी के प्रत्याशी मजबूत

जानकारों की मानें तो 200 में से 120 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ है। लेकिन, शेष 80 सीटों पर बागी निर्दलीय या तीसरी पार्टी के प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत है। इन 80 सीटों में से 68 पर त्रिकोणीय और शेष 12 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ है। ऐसे में यह तो साफ है कि इस बार चुनाव का परिणाम किसी भी दिशा में जा सकता है। कई सीटों पर दोनों ही पार्टियों बागी मैदान में हैं तो कई सीटों पर बसपा, आरएलपी और आप सहित 6 पार्टियों के प्रत्याशियों ने चुनावी रण को रोचक बना दिया है।