छात्रसंघ चुनाव पर रोक से भड़के छात्र नेता, हिरासत में 3 दर्जन स्टूडेंट्स, छावनी में तब्दील राजस्थान यूनिवर्सिटी

गहलोत सरकार के फैसले के विरोध में छात्र नेता और समर्थक सुबह से ही राजस्थान यूनिवर्सिटी में विरोध-प्रदर्शन कर रहे है।

Rajasthan University 1 | Sach Bedhadak

Student Union Election : जयपुर। छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगने के बाद छात्र नेताओं में आक्रोश व्याप्त है। गहलोत सरकार के फैसले के विरोध में छात्र नेता और समर्थक सुबह से ही राजस्थान यूनिवर्सिटी में विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। मामला बढ़ता देख पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है। पुलिस ने अब तक पुलिस ने अब तक तीन दर्जन छात्रों और छात्र नेताओं को हिरासत में लिया है। साथ ही आधा दर्जन गाड़ियों को जब्त किया है। इधर, राजस्थान यूनिवर्सिटी के कैंपस में छात्र नेता विरोध-प्रदर्शन के लिए आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए है।

छात्रसंघ चुनावों पर देर रात रोक लगने के बाद छात्र नेताओं ने राजस्थान यूनिवर्सिटी गेट पर विरोध-प्रदर्शन किया था। छात्र नेताओं ने नारेबाजी करते हुए सीएम गहलोत का पुतला फूंका। लेकिन, पुलिस प्रशासन द्वारा मोर्चा संभालने के बाद तड़के करीब 5 बजे बाद सभी स्टूडेंट्स यहां से चले गए। इसके बाद छात्र नेताओं ने सुबह 10 बजे बाद फिर से विरोध-प्रदर्शन शुरू किया। ऐसे में पुलिस ने विरोध कर रहे छात्रों पर एक्शन लेना शुरू कर दिया। पुलिस अब तक तीन दर्जन छात्रों व छात्र नेताओं को हिरासत में ले चुकी है और आधा दर्जन गाड़ियों को जब्त किया है।

यूनिवर्सिटी परिसर छावनी में तब्दील

गहलोत सरकार के फैसले के बाद पुलिस भी अलर्ट मोड़ पर है। किसी भी प्रकार बवाल ना बढें, इसके लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी का पूरा परिसर छावनी में तब्दील हो चुका है। जगह-जगह पुलिस के जवान मोर्चा संभाले हुए है। यूनिवर्सिटी के गेट पर पुलिस का सख्त पहरा है। किसी भी बाहरी छात्र को अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

आगे की रणनीति बनाने में जुटे छात्र नेता

छात्रसंघ चुनावों पर रोक और पुलिस के एक्शन के बाद छात्र नेता आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए है। यूनिवर्सिटी कैंपस में सुबह 11 बजे से छात्र नेताओं की मीटिंग चल रही है। जिसमें विरोध-प्रदर्शन की आगे की रणनीति पर चर्चा की जा रही है। छात्र नेताओं का कहना है कि प्रदेश में स्वच्छ व निष्पक्ष छात्रसंघ चुनाव जरूरी है, जो छात्र नेता लिंगदोह कमेटी की धज्जियां उड़ा रहे हैं उनको चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दो। लेकिन, लिंगदोह कमेटी का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव स्थगित करने का निर्णय सही नहीं है। गहलोत सरकार को इस निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए। अगर सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे।

सरकार ने देर रात लिया छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला

बता दें कि गहलोत सरकार ने देर रात मौजूदा 2023-24 के शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला लिया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से देर रात सभी कुलपतियों व उच्चाधिकारियों की मीटिंग हुई। इसके बाद सभी विवि को इस फैसले की जानकारी के लिए पत्र भेजा गया। पत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की क्रियान्विति की चुनौती, विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम में देरी, चालू सत्र के लिए प्रवेश में देरी से 180 दिन का अध्यापन कार्य कराना चुनौतीपूर्ण होने सहित विभिन्न कारणों से यह फैसला किया गया है।

इसके अलावा सालों से लगातार हो रहे चुनावों में लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना भी चुनौती का कारण बन रहा था, इसे लेकर भी मीटिंग में चर्चा के बाद यह विषय सामने आया। साथ ही एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में छात्रों का पंजीकरण, सेमेस्टर व्यवस्था लागू करने, इंस्टीट्यूशनल डवलपमेंट प्लान, नैक की ओर से शिक्षा की गुणवत्ता आदि कार्य भी चल रहे हैं। ऐसे में चुनाव कराना संभव नहीं है। बैठक में कुलपतियों ने विद्यार्थियों के छात्रसंघ चुनावों में धनबल एवं भुजबल का खुलकर प्रयोग करने तथा लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन होने की स्थिति स्पष्ट की गई। इस संबंध में उच्च शिक्षा सचिव ने यह पत्र लिखा है।

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