कर्नाटक चुनाव में प्रवासी राजस्थानियों की भूमिका, परिवहन के अभाव में हजारों राजस्थानी नहीं दे सके वोट

दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक के विधानसभा चुनाव (karnataka Assembly Elections) में परिवहन, खासकर ट्रेनों की व्यवस्था नहीं होने के कारण हजारों प्रवासी राजस्थानी मतदान नहीं कर सके।

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(पंकज सोनी) : जयपुर। दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक के विधानसभा चुनाव (karnataka Assembly Elections) में परिवहन, खासकर ट्रेनों की व्यवस्था नहीं होने के कारण हजारों प्रवासी राजस्थानी मतदान नहीं कर सके। कर्नाटक में अप्रैल मई में स्कूलों में अवकाश के चलते हजारों परिवार प्रदेश में अपने पैतृक गांवों में आए हैं। मतदान के दिन वे ट्रेनों में भीड़ के कारण वापस लौट नहीं सके। प्रवासी राजस्थानियों की तरफ से जोधपुर और बीकानेर से कर्नाटक के लिए विशेष ट्रेन चलाने के लिए मांग की गई थी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी पत्र लिखे गए, लेकिन पर्याप्त संख्या में ट्रेनें नहीं चल सकीं। रेलवे ने छह मई से काचीगुड़ा-बीकानेर-काचीगुड़ा साप्ताहिक स्पेशल ट्रेन को जोधपुर तक किया, लेकिन इसके अलावा और कोई ट्रेन शुरू नहीं की गई। कर्नाटक में ज्यादातर प्रवासी राजस्थानी पाली और जालोर जिलों से हैं। इसके अलावा सिरोही, बीकानेर, जोधपुर, हनुमानगढ़, सीकर व झुंझुनूं जिलों से जाकर कर्नाटक में बसे राजस्थानियों की तदाद भी काफी है। 

कांग्रेस पर भारी पड़ी भाजपा 

कर्नाटक की गांधीनगर, चित्रदर्ग ु यूरियर और शांतिनगर सीट पर कांग्रेस तथा चिकपेट, राजाजी नगर, जयनगर, हुबली सेंटर, मैसूरु, मंगलौर और होस्पेट सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इन सीटों पर राजस्थान से गए भाजपा नेताओ के पास चुनावी ं कमान थी। वहीं बसवागुड़ी और बोमनहल्ली में भी भाजपा ने जीत दर्ज की। इन सीटों पर राजस्थान के नेता सीधा जिम्मा संभाल रहे थे। इसके अलावा बीटीएम लेआउट में कांग्रेस, विजय नगर से कांग्रेस और येलाहंका से भाजपा ने जीत दर्ज की। 

मुख्यमंत्री गहलोत भी पहुंचे थे प्रवासियों के बीच 

कर्नाटक के हर जिले में प्रवासी राजस्थानियों हैं। बेंगलुरु और हुबली जिलों की 12 सीटें ऐसी हैं जहां प्रवासी राजस्थानी निर्णायक रहते हैं। इनकी अहमियत समझते हुए कांग्रेस ने भाजपा की इस रणनीति को तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उतारा था। गहलोत ने दो दिन वहां जमकर प्रचार किया। वे बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानियों को कांग्रेस की तरफ मोड़ने में कामयाब भी हुए। उधर, भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह कर्नाटक चुनाव में पार्टी प्रभारी थे। के न्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सतीश पूनियां, विधानसभा में प्रतिपक्ष के सचेतक जोगेश्वर गर्ग, सांसद देवजी पटेल, पीपी चौधरी और राजेन्द्र गहलोत वहां पूरे समय मौजूद रहे।

प्रवासी राजस्थानी बाहुल्य सीट से हारे पूर्व सीएम शेट्टार 

कर्नाटक चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रवासी राजस्थानी मतदाता बाहुल्य सीटों पर भाजपा ने दबदबा कायम रखा है। कर्नाटक के 224 सीटों पर होने वाले चुनाव में 40 से ज्यादा सीटों पर राजस्थानी मतदाताओ की प्रभावी ं मौजूदगी है। इनमें से 12 सीटों पर प्रवासी राजस्थानियों के हाथ फै सला होता है। प्रवासी बाहुल्य इलाके वाली बेंगलुरु की जयनगर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सी.के . राममूर्ति सबसे कम 16 मतों से जीते, वहीं सबसे ज्यादा रोचक चुनाव वाली राजस्थानी मतदाता बाहुल्य सीट हुबली-धारवाड़ से भाजपा से बगावत कर कांग्स में गए रे पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार हार गए।

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