लोकसभा के रण से पहले राजपूत और जाट समुदाय लामबंद! पूर्वी राजस्थान में चुनौती दे रहा ऑपरेशन गंगाजल

Rajasthan Loksabha Election 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनावों से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो चली है जहां दिल्ली से लगातार नेताओं के दौरे और जनता…

फिर लगा कांग्रेस को बड़ा झटका 5 | Sach Bedhadak

Rajasthan Loksabha Election 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनावों से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो चली है जहां दिल्ली से लगातार नेताओं के दौरे और जनता की नब्ज टटोलने का सिलसिला परवान पर है. इधर देश से लेकर सूबे के सियासी गलियारों में जाट और राजपूत दो प्रमुख वोटबैंक की बढ़ती नाराजगी अंदरखाने बीजेपी के लिए सिरदर्द बनती जा रही है! पिछले दिनों गुजरात में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला की राजपूत समाज पर की गई टिप्पणी के बाद लगातार राजपूत महिलाएं लामबंद हैं जहां गुजरात से लेकर मारवाड़ तक गुस्सा है. सोशल मीडिया पर ‘राजपूत विरोधी मोदी’ ट्रैंड लगातार चल रहा है. समाज के लोग रुपाला की टिकट काटने की मांग कर रहे हैं.

वहीं इधर पूर्वी राजस्थान में सीएम के गृह इलाके में अब जाट समुदाय के भीतर भी एक नाराजगी वाला करंट दौड़ रहा है. जाट समाज के लोग भरतपुर-धौलपुर जिलों में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनरत है और हाल में एक पंचायत बुलाकर बीजेपी को वोट नहीं देने का फैसला किया. हालांकि बीजेपी आलाकमान की ओर से हवा शांत करने के लिए नेताओं को जमीन पर उतारा गया है जहां राजस्थान में खुद सीएम ने भरतपुर-धौलपुर में मोर्चा संभाला है.

मालूम हो कि राजपूत समाज को बीजेपी का मूल वोट बैंक माना जाता रहा है लेकिन गुजरात में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा राजपूत समाज पर दिए गए बयान के बाद राजपूत समाज में आक्रोश है. मालूम हो कि राजस्थान में मिशन-25 का टारगेट तय कर रखा है ऐसे में दो समाजों की नाराजगी मिशन के रास्ते में बड़ा रोड़ा बन सकती है.

राजपूत समाज देशभर में हुआ लामबंद

मालूम हो कि बीते दिनों गुजरात में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा राजपूत समाज पर की गई टिप्पणी के बाद से सोशल मीडिया पर राजपूत समाज का गुस्सा देखा जा रहा है जहां सोशल मीडिया पर समाज के लोगों द्वारा बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की जा रही है.

इसके अलावा राजपूत समाज के लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से पिछले 10 साल के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राजपूत समाज की आबादी करीब 13 फीसदी है जहां राजस्थान में जाट समुदाय एक बड़ा वोटबैंक है और देश में राजपूतों की आबादी करीब 7.5 करोड़ है जो कुल आबादी की 5 फीसदी है.

आरक्षण की मांग पर उद्वेलित जाट समुदाय

इधर बीते 13 अप्रैल को भरतपुर के कुम्हेर थाना क्षेत्र में स्थित पेंघौर की चामड़ माता मंदिर में जाट समाज ने एक महापंचायत बुलाई जिसमें सर्वसम्मति से फैसला किया कि इस बार बीजेपी को वोट नहीं देना है. जाट समाज का कहना है कि उन्हें आरक्षण के नाम पर धोखा मिल रहा है जिसके बाद उन्होंने पूर्वी इलाके में ‘ऑपरेशन गंगाजल’ चलाया है, इसमें वह गांव-गांव जाकर बीजेपी को वोट ना करने की अपील भी कर रहे हैं.

इस ऑपरेशन के तहत जाट समाज ने आरक्षण के नाम पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए ‘ऑपरेशन गंगाजल’ चला रखा है जिसके तहत गांव-गांव जाकर बीजेपी को हराने के लिए प्रचार भी किया जा रहा है. इस महापंचायत में जाट समाज ने फैसला लिया था कि आरक्षण के नाम पर जाटों को धोखा देने, जाट समाज के लोगों को सरकार द्वारा टारगेट करने के मुद्दे पर भरतपुर, डीग, करौली, धौलपुर का जाट समाज लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ईंट से ईंट बजाकर ही रहेगा.

ऑपरेशन गंगाजल के सामने उतरे मुख्यमंत्री

वहीं जाटों के गंगाजल अभियान को ठंडा करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल में डीग-भरतपुर और धौलपुर के लिए दो दिन का विशेष कार्यक्रम बनाया था जहां उन्होंने रविवार को कुम्हेर की जनसभा में स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र में भरतपुर और धौलपुर के जाटों को आरक्षण का फायदा मिलकर रहेगा जिसके लिए हमने पॉजिटिव रिपोर्ट भेज दी है लेकिन फिर भी कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं.

कुम्हेर में सीएम ने कहा कि भरतपुर धौलपुर के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण के लिए समाज के नेताओं ने संपर्क किया था और ऐसा पहली बार हुआ जब इस मुद्दे को लेकर समाज के लोगों की केंद्र में ओबीसी आयोग के साथ वार्ता हुई. उन्होंने कहा कि मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि केंद्र में भरतपुर और धौलपुर के जाटों को आरक्षण का जो फायदा मिलना चाहिए जो मिलकर रहेगा.