राजस्थान की इस सीट पर रोचक मुकाबला, CM गहलोत, वसुंधरा और पायलट तीनों दिग्गज के वफादारों में भिड़ंत

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में कल यानी 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव है। राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 199 पर मतदान होगा।…

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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में कल यानी 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव है। राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 199 पर मतदान होगा। 2023 के विधानसभा चुनाव में 199 सीटों के लिए 1862 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण करणपुर सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया है। राजस्थान में इस बार अजब सियासत के गजब रंग देखने को मिल रहे है। कहीं रिश्तेदारों के बीच आपसी जंग हो रही है तो कहीं पुराने करीबियों ने ही एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक दी है।

राजस्थान में ऐसी ही एक सीकर की खंडेला विधानसभा सीट है, जिस पर दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। दरअसल, इस सीट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट तीनों के वफादारों ने एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक दी है। सबसे मजे की बात यह है कि तीनों उम्मीदवार इस बार बदली हुई पार्टी के टिकट पर चुनावी अखाड़े में कूदे हैं।

गहलोत के करीबी खंडेला कांग्रेस प्रत्याशी…

राजस्थान में सीकर जिले की खंडेला विधानसभा सीट पर उतरे तीनों प्रमुख चेहरे 2018 में भी चुनावी अखाड़े में उतरे थे, लेकिन इस बार उनकी पार्टियों में बदलाव हुआ हैं। कांग्रेस ने खंडेला विधानसभा सीट पर महादेव सिंह खंडेला को चुनावी अखाड़े में उतारा है। महादेव खंडेला को सीएम गहलोत का करीबी माना जाता रहा है। उनकी इस इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसीलिए कांग्रेस ने उन्हें टिकट देकर भाजपा की चुनौती को बेदम बनाने का प्रयास किया है।

अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो महादेव खंडेला ने यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। संकट के दिनों में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ दिया था। कांग्रेस का टिकट पाने में उनकी कामयाबी के पीछे इसे बड़ा कारण माना जा रहा है।

पायलट के करीबी बने भाजपा उम्मीदवार…

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से सुभाष मील को चुनावी अखाड़े में उतारा था, लेकिन उन्हें महादेव खंडेला के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। मील इस बार भी चुनाव मैदान में उतरे हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि सुभाष मील को सचिन पायलट का वफादार माना जाता रहा है, लेकिन पायलट इस बार मील को टिकट दिखने वाले में कामयाब नहीं हो सके। इससे नाराज होकर मील ने पाला बदल दिया और अब वे भाजपा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं।

वसुंधरा के करीबी बाजिया निर्दलीय प्रत्याशी…

2018 के चुनाव के दौरान भाजपा ने इस विधानसभा सीट पर बंशीधर बाजिया को चुनावी अखाड़े में उतारा था। बाजिया को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता रहा है, लेकिन इस बार वे भाजपा का टिकट पाने में कामयाब नहीं हो सके। इससे नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई में बाजिया भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

तीन दिग्गजों के वफादारों में भिड़ंत…

वैसे बंशीधर बाजिया परिवार की हमेशा से ही खंडेला विधानसभा सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। लंबे समय से इस विधानसभा सीट पर उनके परिवार से जुड़े हुए लोग जीत हासिल करते रहे हैं। बाजिया इस बार भी जीत का दावा कर रहे हैं और उनका कहना है कि भाजपा के 90 फीसदी कार्यकर्ताओं के साथ हैं।

वैसे उल्लेखनीय बात यह भी है कि जाट बहुल इस सीट पर बाजिया के साथ ही कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार भी जाट ही हैं। इस कारण दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के वफादारों की इस सियासी जंग पर पूरे राज्य की निगाहें लगी हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि तीनों में कौनसा प्रत्याशी इस सीट पर बैठता है।