Rajasthan Election 2023 : मारवाड़ की उपेक्षा पर पहली बार खेतसिंह ने दी थी अलग मरुप्रदेश बनाने की चेतावनी

कहते हैं कि सोलहवां साल नाजुक होता है- यह आम धारणा है। लेकिन सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव में मरु प्रदेश के गठन को मुद्दा बनाए जाने की चर्चा फिर हरी हो गई है।

image 2023 10 22T075458.559 | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023 : कहते हैं कि सोलहवां साल नाजुक होता है- यह आम धारणा है। लेकिन सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव में मरु प्रदेश के गठन को मुद्दा बनाए जाने की चर्चा फिर हरी हो गई है। इसके पीछे एक तथ्य तो यह है कि तीसरी बार शासन सत्ता की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अप्रत्याशित रूप से नए जिलों की घोषणा करके करारा राजनैतिक स्ट्रोक खेला है। 

सत्ता की राजनीति में मेवाड़ के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मारवाड़ में भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे को हवा देने का प्रयास किया है। एक मायने में यह मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा खींची गई लाइन को बड़ी लाइन की दिशा में बदलने की राजनीतिक कसरत है। कारण यह है कि राज्य में जिलों के विस्तार का अधिकार तो प्रदेश सरकार के हाथों में है लेकिन नए राज्य का गठन अथवा पुनर्गठन केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

लोढ़ा ने भी उठाई थी मरु प्रदेश के गठन की मांग

पूर्व सांसद पुष्प मैन तथा राज्यसभा सदस्य राजेन्द्र गहलोत के साथ यह आवाज उठाने वाले राज्यसभा के पूर्व सदस्य रामनारायण डूडी मरुप्रदेश के गठन संबंधी प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं। तत्कालीन जनसंघ नेता और न्यायाधिपति गुमानभल लोढ़ा ने भी मरु प्रदेश के गठन की मांग उठाई थी।

1977 में विधानसभा में भी उठा था मुद्दा

राजस्थान विधानसभा में भी मरु प्रदेश के गठन का मुद्दा उठाया जा चुका है। यह बात है 1977 में गठित छठी विधानसभा की। उन दिनों अकाल और सूबे की स्थिति पर चर्चा के दौरान मरु प्रदेश के मुद्दे पर जोरदार बहस हुई। जोधपुर जिले के शेरगढ़ से निर्वाचित कांग्रेस के खेतसिंह राठौड़ ने अकाल राहत कार्यों में भेदभाव बरतने तथा मारवाड़ की घोर उपेक्षा का आरोप लगाया। सदन में अपनी बात रखते हुए वे इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि यदि हमारी इसी तरह उपेक्षा की गई तो हम अलग से मरुप्रदेश बना लेंगे। 

45 वर्षों बाद हवा में यह मुद्दा 

इस पर भरतपुर से जनता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित सुरेश कुमार शर्मा ने सदन में अपनी गंजी टांट (सिर) दिखाते हुए कहा कि हमारे जैसे राज्य के सरसब्ज इलाकों से अर्जित राजस्व आय से आप लोगों को अकाल राहत के नाम पर (मारवाड़ में) खिलाते खिलाते हमारी टांट गंजी हो गई। यह सुनते ही सदन में हंसी की लहर गूंज गई। बात आई गई हो गई पर आज 45 वर्षों बाद यह मुद्दा हवा में तैर गया है।

ये खबर भी पढ़ें:-Rajasthan Election 2023 : ERCP के सहारे सत्ता की राह…गुर्जर-मीणा बेल्ट को साधने की कवायत तेज