राजस्थान के ‘नए मुखिया’ पर जल्द सस्पेंस खत्म! MLA कैसे चुनते हैं CM, आलाकमान के दूतों की क्या है भूमिका?

राजस्थान में बीजेपी की रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है.

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Rajasthan CM: राजस्थान में विधानसभा चुनावों के संपन्न होने के बाद कांग्रेसी खेमा जहां हार के कारणों पर मंथन कर रहा है वहीं बीजेपी के सियासी गलियारों में जबरदस्त हलचल है. बीजेपी के सीएम चुनने की कवायद लगातार चल रही है जिसमें शुक्रवार को आलाकमान ने पर्यवेक्षकों के नामों का ऐलान कर दिया है जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय राजस्थान भेजा गया है. वहीं बीजेपी जल्द ही विधायक दल की बैठक बुला सकती है जिसके बाद सीएम के फेस पर सस्पेंस खत्म होगा.

बताया जा रहा है कि पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए राजनाथ सिंह रविवार को जयपुर आ सकते हैं जिसके बाद रविवार शाम को विधायक दल की बैठक हो सकती है. वहीं इससे पहले शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सभी बीजेपी विधायकों से ऑनलाइन संवाद करेंगे और जीत की शुभकामनाएं भी देंगे.

मालूम हो कि मालूम हो कि बीजेपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बिना किसी सीएम फेस के चुनाव लड़ा था ऐसे में पार्टी के सामने तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरे का चुनाव करना एक चुनौती की तरह है. माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान सीएम फेस के जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों को भी साधना चाहता है. वहीं विधायक दल की बैठक से पहले आइए जानते हैं कि आखिर किस प्रक्रिया के तहत सीएम का चुनाव किया जाएगा और आलाकमान के दूत क्या संदेश लेकर जयपुर आएंगे.

विधायकों से रायशुमारी से खत्म होगा सस्पेंस!

बता दें कि बीजेपी की ओर से लगाए गए तीनों पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों का मन टटोलेंगे और विधायक दल की इसी बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाएगा. इसके बाद पर्यवेक्षक विधायकों का संदेश दिल्ली आलाकमान तक पहुंचाएंगे.

दरअसल भारत के संविधान के मुताबिक किसी राज्य का प्रमुख राज्यपाल होता है लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्तियां मुख्यमंत्री के पास ही होती है. वहीं विधानसभा चुनावों में जिस पार्टी को बहुमत मिलता है उसके निर्वाचित सभी विधायक अपने दल का नेता चुनते हैं जिसे ही विधायक दल का नेता कहा जाता है.

वहीं इसके बाद राज्य के राज्यपाल उन्हें सरकार गठित करने के लिए बुलाते हैं और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है. वहीं राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद ही मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल का गठन करते हैं.