मॉब लिचिंग और नकल रोकने के लिए गहलोत सरकार लाई सख्त कानून, इन 5 कानूनों में केंद्र से आगे राजस्थान

जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सख्त कानून बनाने के मामले में भी प्रदेश के गहलोत सरकार केंद्र से आगे है।

Chief Minister Ashok Gehlot

Ashok Gehlot Government : जयपुर। जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सख्त कानून बनाने के मामले में भी प्रदेश के गहलोत सरकार केंद्र से आगे है। एक ओर गहलोत सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की देशभर में चर्चा है। चिरंजीवी योजना, सोशल सिक्योरिटी कानून और ओपीएस को राजस्थान की तरह देशभर में लागू करने की मांग उठ रही है। वहीं, दूसरी ओर सख्त कानून बनाने के मामले में भी केंद्र की मोदी सरकार काफी पीछे है।

हालांकि, अब से पहले यही देखा गया है कि पहले केंद्र सरकार संसद में बिल पारित करवाती है। उसके बाद ही राज्यों की सरकारें इन कानून को लागू करती है। ले

गहलोत सरकार ने इस साल पांच-छह बिल पहले पारित किए। इसके बाद केंद्र सरकार भी ऐसे ही अपराधों से जुड़े बिल संसद में लेकर आई। मॉब लिंचिंग, पेपर लीक से लेकर कई संगठित अपराधों पर कंट्रोल के लिए कड़े कानून बनाने के मामले में राजस्थान नंबर वन है। इनमें से कई कानून तो ऐसे हैं, जो गहलोत सरकार तीन साल में 2-2 बार विधानसभा में लेकर आई है। ऐसे में अब केंद्र सरकार तीन कानूनों को मिलाकर ऐसे अपराधों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की तैयारी में है।

केंद्र से पहले राजस्थान में बने ये कानून

  1. राजस्थान सिनेमा विनियम (संशोधन) विधेयक-2023 विधानसभा में 21 जुलाई को पारित किया गया। जबकी केंद्र सरकार ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023 संसद से 31 जुलाई को पारित करवाया। यह बिल फिल्म चोरी की जांच करने, पायरेसी रोकने, प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियों को पेश करने और अनावश्यक सामग्री को हटाने संबंधी कानून है।
  2. कुछ ऐसा ही राजस्थान सहकारी सोसायटी विधेयक और केंद्र सरकार के बहु राज्य सहकारी सोसायटी विधेयक का रहा। इसमें इंटर स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी पर शिकंजा कसने का प्रावधान है। गहलोत सरकार इसे 19 जुलाई को पारित करा चुकी थी। इसके बाद 25 जुलाई को लोकसभा में बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022 विधेयक पारित हुआ।
  3. राजस्थान विधियां निरसन विधेयक-2023 विधानसभा में 14 जुलाई को सदन में रखा और 19 जुलाई को पारित हुआ। इसमें 133 अनुपयोगी कानून निरस्त किए गए। वहीं, केंद्र ने 27 जुलाई को निरसन और संशोधन विधेयक-2022 लोकसभा में पारित करवाया। इस कानून से 76 अप्रचलित या निरर्थक कानूनों निरस्त हो जाएंगे।
  4. संगठित अपराध पर कंट्रोल के लिए बने कानून के मामले में भी प्रदेश सरकार केंद्र से आगे रही। राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 विधानसभा में 18 जुलाई को पारित हुआ। इसमें गिरोह बनाकर किसी की हत्या, डकैती, मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है। वहीं, संसद में 11 अगस्त को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 प्रतिस्थापित किया। इसमें नस्लीय हिंसा, 5 या अधिक द्वारा किसी की हत्या पर उम्रकैद का प्रावधान है। लेकिन, ये बिल अगले सत्र में पारित करवाया जाएगा।
  5. रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट बिल) 26 जुलाई को लोकसभा में पास हुआ। इस बिल के जरिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान बनाया गया है, साथ ही राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु के विधेयक के लागू होने पर जन्म और मृत्यु पंजीकरण के बदल जाएंगे। जन्म प्रमाणपत्र के लिए आधार नंबर अनिवार्य होगा।

गहलोत सरकार की ये योजनाएं भी अहम

अगर गहलोत सरकार की योजनाओं के बात करें तो कई योजनाएं तो ऐसी है, जो राजस्थान के अलावा किसी राज्य में नहीं है। ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस लागू करने के मामले में राजस्थान पहला राज्य है। इसके अलावा मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना की भी देशभर में चर्चा है। गहलोत सरकार बुजुर्गों, विधवाओं, निशक्तजनों, एकल नारी सहित कई अलग-अलग श्रेणियों के 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन दे रही है। खुद सीएम गहलोत भी लगातार इन योजनाओं को देशभर में लागू करने की मांग करते रहे हैं।

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