न्यायपालिका पर टिप्पणी कर बुरे फंसे CM गहलोत! अब हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा न्यायपालिका पर दिए गए बयान को लेकर शनिवार को दायर अपराधिक अवमानना कार्रवाई वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट ने सीएम अशोक गहलोत को कारण बताओ नोटीश जारी किया है।

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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा न्यायपालिका पर दिए गए बयान को लेकर शनिवार को दायर अपराधिक अवमानना कार्रवाई वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट ने सीएम अशोक गहलोत को कारण बताओ नोटीश जारी किया है।

न्यायपालिका पर दिए बयान के बाद स्थानिय वकील शिवचरण गुप्ता ने बीते गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस पूरे मामले में अब अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति एमएम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को मामले की सुनवाई की।

सीएम गहलोत के नाम नोटिस जारी

वकील शिवचरण गुप्ता की याचिका पर शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति एमएम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को मामले की सुनवाई की।

इस याचिका में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोती की टिप्पणियों को गंभीर बताया गया था। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री गहलोत के नाम नोटिस जारी किया।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने दी मामले पर प्रतिक्रिया

इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी ने तुरंत पूर्ण पीठ की बैठक बुलाने की मांग की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि अगर सीएम को कोई जानकारी थी तो वह पहले सीजे से बात करते। क्या सीजे से बात की गई?

सीएम ने ट्वीट कर दी थी सफाई

इस पूरे मामले के गर्माने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए सफाई दी थी, सीएम अशोक गहलोत ने लिखा- कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं। मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है।

आगे सीएम गहलोत ने लिखा- मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।

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