सावन के दूसरे सोमवार को बने कई अनूठे संयोग, ऐसा करने से सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

से तो सावन के पवित्र महीने में भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना और सावन सोमवार का व्रत रखने का विशेष महत्व है।

Lord Shiva | Sach Bedhadak

Second Somwar Of Sawan 2023 : जयपुर। वैसे तो सावन के पवित्र महीने में भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना और सावन सोमवार का व्रत रखने का विशेष महत्व है। लेकिन, इस बार सावन मास का दूसरा सोमवार कई अनूठे संयोग साथ लेकर आया है। एक तरफ इस दिन सावन की हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या है। वहीं, दूसरी ओर रुद्राभिषेक के लिए शिववास और पुनर्वसु नक्षत्र भी है। खास बात ये है कि इस दिन सोमवती अमावस्या और कर्क संक्रांति होने के कारण दान-पुण्य तथा पूजा-अर्चना करने वालों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।

सावन के दूसरे सोमवार को आज बने ये 4 शुभ संयोग

सावन अमावस्या : सावन के दूसरे सोमवार के दिन सावन अमावस्या भी है। इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान, पूजा व व्रत का महत्व होता है। लेकिन सावन का दूसरा सोमवार पड़ने के कारण इस दिन भगवान शिव की पूजा भी जाएगी। सावन अमावस्या के दिन सावन का दूसरा सोमवार पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधे लगाना बेहद शुभ माना जाता है। पेड़ पौधे लगाने से घर के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

सोमवती अमावस्या : सावन माह में 47 साल बाद सोमवती अमावस्या का संयोग बना है। अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी। इस दिन सोमवार व्रत का संयोग बन रहा है। इसलिए शिवजी की उपासना करने से साधक को रोग, दोष व भय से मुक्ति मिलेगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी।

शिववास : आज शिववास नक्षत्र का योग है, जोकि रुद्राभिषेक के लिए काफी अहम माना जाता है। आज शिववास गौरी के साथ है। ऐसे में शिवजी के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से कष्टों से मुक्ति मिलेगी। साथ ही घर-परिवार में शांति का वास होगा। पंचांग के अनुसार, आज सूर्योदस्य से लेकर रात्रि तक शिववास रहेगा। इसके अलावा हर्षण और सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है।

पुनर्वसु नक्षत्र : पुनर्वसु नक्षत्र सावन की दूसरे सोमवार से शुरू होकर लेकर अगले दिन 18 जुलाई सुबह 5.11 बजे तक रहेगा। इस नक्षत्र में किए व्रत और पूजन से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

शिवजी की पूजा-अर्चना का शुभ मुहुर्त

सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 5.11 से सुबह 5.35 बजे तक। 
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4.12 से 4.53 बजे तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 2.45 से 3.40 बजे तक।

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सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान आदि से निवृत होने पर शिवजी के मंदिर जाएं। घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं। मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें और शिवलिंग पर बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। साथ ही भगवान शिव को साष्टांग करें। इसके बाद शिव मंत्र का 108 बार जाप करें। दिन में केवल फलाहार ले और शाम को फिर से शिव मंत्र का जाप करें।

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