‘लंपी से 76 हजार 30 गौवंश मरे पर मुआवजा 42 हजार पशुपालकों को ही क्यों’ राजेंद्र राठौड़ ने उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि लंपी से कांग्रेस सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मौत होना स्वीकारा था लेकिन आज सीएम गहलोत ने वास्तविक आंकड़े छुपाकर मात्र 41 हजार पशुपालकों को 40 हजार रुपए की सहायता देकर झूठी वाहवाही लेने का प्रयास किया है.

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जयपुर: राजस्थान सरकार की ओर से सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को लंपी महामारी में दुधारू गौवंश गंवाने वाले पशुपालकों को राहत प्रदान करते हुए प्रदेशभर के पशुपालकों के खातों में प्रति परिवार 2 दुधारू गोवंश के लिए 40-40 हजार रुपए ट्रांसफर किए. इस दौरान सीएम ने करीब 41 हजार 900 पशुपालकों के खाते में 175 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि भेजी. इधर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार के इस कदम पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार ने लंपी प्रभावित पशुपालकों के वास्तविक आंकड़े छुपाए हैं.

राठौड़ ने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार ने लंपी से दुधारु गोवंश की मौत होने पर हर गाय के हिसाब से 40 हजार की आर्थिक सहायता देने की बजटीय घोषणा की थी पर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लंपी से 15.67 लाख पशुधन संक्रमित हुआ था और सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मौत होना स्वीकारा था. वहीं अब सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाकर मात्र 42 हजार पशुपालकों को 40 हजार रुपये का अनुदान देकर झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकार गौशालाओं में लंपी से मौत को प्राप्त हुए एक भी गौवंश को सहायता राशि नहीं दे रही है जिस कारण गौशाला संचालकों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है.

इतने पशुपालक अपात्र कैसे हो गए?

राठौड़ ने आगे कहा कि 20वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में 5.68 करोड़ पशुधन है जिसमें 1.39 करोड़ गौवंश है और पशुधन की दृष्टि से राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है. उन्होंने कहा कि पिछले साल 2022 में हकीकत में लाखों गौवंश काल कवलित हुए थे और सरकार ने लंपी स्कीन डिजिज (एलएसडी) से 76 हजार गौवंश मृत माने और जब सहायता देने का अवसर आया तो उसमें भी दुधारु गौवंश होने की शर्त जोड़ दी गई जिसके बाद बड़ी संख्या में पशुपालक पात्र होने के बावजूद अपात्र की श्रेणी में आ गए.

राठौड़ ने कहा कि बजट 2023-24 में भी सरकार ने प्रदेश के सभी पशुपालकों के लिए यूनिवर्सल कवरेज करते हुए प्रत्येक परिवार हेतु 2-2 दुधारु पशुओं का 40 हजार रुपये प्रति पशु बीमा करने के लिए 20 लाख पशुपालकों के लिए 750 करोड़ का मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के तहत प्रावधान किया था जिसकी पालना में सरकार महंगाई राहत कैंपों में 90 लाख से अधिक पशुपालकों का रजिस्ट्रेशन होने का दंभ भर रही है.

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब बजटीय घोषणा में प्रति 2 दुधारू पशुओं के हिसाब से 20 लाख पशुपालकों को लाभान्वित करने की बात कही गई है तो मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में 90 लाख पशुपालकों को कैसे लाभान्वित किया जायेगा? सरकार ने अभी तक एक भी पशुपालक को पशुधन इंश्योरेंस बीमा का लाभ नहीं दिया है कि क्योंकि अभी तक तो सरकार बीमा कंपनी का चयन ही नहीं कर पाई है.

पशुधन बीमा योजना का नहीं मिला वास्तविक लाभ

वहीं राठौड़ ने आगे कहा कि पशुपालकों के सम्मान समारोह आयोजित करने बात कहने वाले मुख्यमंत्री जी पहले यह बताएं कि कांग्रेस ने जन घोषणा पत्र में लघु और सीमांत किसानों के पशुधन के मुफ्त बीमा की घोषणा की थी उसे 3 साल तक शुरु क्यों नहीं किया गया? इसके साथ ही विधानसभा में मेरे सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकारा है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार का कार्यकाल प्रारम्भ होने के साल 2019 से सितंबर 2022 तक लघु और सीमांत किसानों के लिए मुफ्त बीमा योजना संचालित नहीं थी.

उन्होंने कहा कि जब लंपी वायरस से गौवंश तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे थे उस समय चहुंओर सरकार की किरकिरी होने के बाद आनन-फानन में अक्टूबर 2022 से पशुधन बीमा योजना शुरु तो कर दी गई लेकिन उसका वास्तविक लाभ पशुपालकों को आज तक भी नहीं मिल पा रहा है और अकेले चूरू में दिसंबर 2022 तक सिर्फ 45 पशुओं का बीमा करने पर पशुपालकों को मात्र 53 हजार 250 रुपये की राशि अनुदान के रूप में प्राप्त हुई है जबकि जिले में 15 लाख से ज्यादा पशुधन है.

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