बादलों की ओट में छिपा रहा चांद, जयपुर में नहीं दिखा ग्रहण, भक्तों ने आधी रात गोविंद दरबार में लगाई धोक

शरद पूर्णिमा पर मध्यरात्रि बाद चंद्र ग्रहण हुआ। साल का यह अंतिम चंद्र ग्रहण शहरवासी नहीं देख पाए। चांद पूरे समय बादलों की ओट में ही छिपा रहा।

govind devji mandir

Chandra Grahan : जयपुर। शरद पूर्णिमा पर मध्यरात्रि बाद चंद्र ग्रहण हुआ। साल का यह अंतिम चंद्र ग्रहण शहरवासी नहीं देख पाए। चांद पूरे समय बादलों की ओट में ही छिपा रहा। वहीं, ग्रहण से पड़ने वाले प्रभाव के बीच लोग भजन-जाप में लीन रहे। इस अवसर पर शहर के आराध्य गोविन्द देव जी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शनों की विशेष व्यवस्था भी की गई। अन्य मंदिरों में भगवान के पट बंद रहे, मंदिर मंहतों ने ग्रहण के अवसर पर जाप किए। वहीं, मंदिरों में शरद पूर्मा णि के अवसर बंटने वाली औषधि खीर का वितरण नहीं किया गया।

मेष राशि के लोगों ने कराई विशेष पूजा

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चंद्र ग्रहण मेष राशि में घटित होने से मेष राशि वालों पर ज्यादा प्रभाव रहा। इसके कारण शनिवार सुबह से ही मेष राशि वाले लोग मंदिरों में पूजन कार्यों और दान पुण्य में व्यस्त रहे। ज्योतिषाचार्य पंडित युगल किशोर शास्त्री ने बताया कि वैसे तो चंद्र ग्रहण का सभी राशियों पर प्रभाव पड रहा है, लेकिन मेष राशि के लोगों पर इसका ज्यादा और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस कारण इस राशि के लोगों को विशेष पूजन-जाप कराया गया।

हजारों श्रद्धालुओं ने किया स्नान

उत्तर भारत की प्रमुख वैष्णव पीठ उत्तर तोदाद्रि गलता जी में गलतपीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य जी महाराज के सान्निध्य शरद पूर्णिमा मनाई गई। गलता पीठ के युवराज स्वामी राघवेन्द्र ने बताया कि गलता पीठ में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आवागमन रहा और यह क्रम दिनभर चला। हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया उसके बाद ठाकुर जी के दर्शन किए। लोगों ने गलता पीठ में अन्नक्षेत्र में प्रसादी ग्रहण की और गायों को चारा खिलाया एवं दान–पुण्य किया।

ठाकुर जी के दर्शनों के लिए उमड़े भक्त

चंद्र ग्रहण के कारण गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शनों के लिए मध्यरात्रि बाद भक्तों की भीड़ उमड़ पडी। जहां एक ओर शहर के मंदिरों में सूतक लगने के साथ ही पट बंद हो गए, वहीं दूसरी ओर गोविंददेव जी मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए विशेष झांकी सजाई गई। लोगों ने ग्रहण के दौरान ठाकु रजी के विशेष दर्शन मध्यरात्रि बाद किए। इस दौरान लोगों ने हरिनाम संकीर्तन किया। मंदिर प्रशासन ने दर्शनार्थियों को मंदिर में ग्रहण शुरू होने से पहले प्रवेश करा दिया और ग्रहण शुद्धि के बाद ही बाहर जाने दिया।

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