गजब! एक्सीडेंट में कटकर अलग हो गया था युवक का हाथ, जयपुर के डॉक्टरों ने 7 घंटे में कर दिया कमाल

जयपुर। आज के समय में डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। क्योंकि भगवान के बाद डॉक्टर ही है जो इंसान की जिदंगी…

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जयपुर। आज के समय में डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। क्योंकि भगवान के बाद डॉक्टर ही है जो इंसान की जिदंगी बचा सकता है। यहीं बात राजधानी जयपुर में भी साबित हुई है। यहां प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल (sms hospital) में डॉक्टरों ने चिकित्सा विज्ञान की मदद से एक युवक के कंधे से कटे हुए हाथ को दोबारा जोड़ दिया। इस शानदार सफलता के बाद जहां युवक को नई जिदंगी दी है। वहीं उसके परिजनों के चेहरे पर खुशी आ गई है। शुक्रवार को सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में कंधे से अलग हुए हाथ को पूरी तरह जोड़ दिया। इस तरह का ऑपरेशन कर एसएमएस हॉस्पिटल ने बड़ी सफलता हासिल की है।

एसएमएस हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि पश्चिम बंगाल निवासी नियामत सिंह (26) का ऑपरेशन किया गया है। पिछले सप्ताह जयपुर के आगरा रोड पर एक ट्रक को ओवरटेक करने के दौरान बाइक पर सवार नियामत सिंह तेजी से रोड साइड पर लगे लोहे के बैरियर से जा टकराया। हादसा इतना भयानक था कि नियामत सिंह का एक हाथ कंधे से कटकर अलग हो गया था। राहगिरों ने तुरंत एंबुलेंस बुलाकर उसे एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में लाए। जहां से उसे प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों के पास शिफ्ट किया गया।

दोपहर 12 से शुरू हुई सर्जरी 6 बजे तक चली…

प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सुनील श्रीवास्तव के साथ उनकी टीम डॉ. प्रदीप गुप्ता, डॉ. राहुल, डॉ. भूमिका और डॉ. राजकुमार समेत अन्य ने मरीज को देखने को बाद सर्जरी करने का निर्णय किया। सर्जरी दोपहर 12 बजे शुरू की जो कि शाम 6 बजे तक चली। 6 घंटे तक चला ऑपरेशन सफल रहा। एसएमएस अस्पताल के डॉ. अचल शर्मा ने जटिल ऑपरेशन वाले डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।

एसएमएस हॉस्पिटल में इस तरह का पहला केस…

डॉक्टरों ने बताया- एसएमएस हॉस्पिटल में इस तरह कंधे से पूरा हाथ अलग होना और उसे वापस जोड़ने का केस पहली बार सामने आया है। पहली बार की गई सर्जरी में डॉक्टरों को सफलता मिली। डॉ. सुनील श्रीवास्तव के मुताबिक मरीज के हाथ का मूवमेंट शुरू होने में अभी 3-4 महीने का समय लगेगा। उन्होंने बताया कि ये पूरा इलाज चिरंजीवी योजना के तहत फ्री किया गया है।

डेड मसल्स और आर्टरी को कनेक्ट करना सबसे बड़ी चुनौती

प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सुनील श्रीवास्तव ने बताया- ऑपरेशन करने में सबसे बड़ी चुनौती डेड मसल्स को पूरी तरह हटाना और आर्नरी, वेन्स को सही तरह से जोड़ाना काफी चुनौतीपूर्ण था था। क्योंकि वेन्स और आर्नरी के कनेक्शन के बाद अगर कोई डेड मसल्स का हिस्सा रह जाता है तो मरीज को इंफेक्शन का खतरा हो जाता है। ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है। डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। उन्होंने बताया कि मरीज जिस कंडीशन में हॉस्पिटल आया था, उस समय उसका ब्लड काफी निकल चुका था, इस कारण ऑपरेशन के समय 6-7 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।

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