पुलिस बनने का देखा था सपना, लेकिन अब भगवान से मांग रहा मौत, युवक ने सुनाई व्यथा तो हर कोई रह गया दंग

जिले के लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र के गांव हादरहेड़ा में रहने वाले सुनील मीणा ने कभी राजस्थान पुलिस भर्ती होकर लोगों की सेवा करने का सपना देखा था। लेकिन, अब यही शख्स भगवान से खुद की मौत की दुआ मांग रहा है।

sunil meena | Sach Bedhadak

अलवर। जिले के लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र के गांव हादरहेड़ा में रहने वाले सुनील मीणा ने कभी राजस्थान पुलिस भर्ती होकर लोगों की सेवा करने का सपना देखा था। लेकिन, अब यही शख्स भगवान से खुद की मौत की दुआ मांग रहा है। गुरुवार को सुनिल ने सच बेधड़क की टीम को अपनी व्यथा सुनाई तो हर कोई स्तब्ध रह गया। दरअसल, 21 वर्षीय सुनिल कुमार मीणा गुरुवार को अपने एक पड़ोसी के साथ अपने शरीर का एक-एक पार्ट डोनेट करने के लिए अलवर राजीव गांधी सामान्य अस्पताल पहुंचा था। हालांकि, डॉक्टरों ने उसे अंगदान करने से मना करते हुए वापस भेज दिया। यह शख्स पिछले सात दिन में दूसरी बार बॉडी पार्ट डोनेट करने के लिए अस्पताल आया था। यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर ने पीएमओ को निर्देश दिए है कि पीड़ित का उचित उपचार किया जाएं, ताकि उसकी आंखों की रोशनी वापस आ सकें।

सुनील मीणा निवासी हादरहेड़ा ने सच बेधड़क की टीम को बताया कि 14 मई 2022 को हुए सड़क हादसे में उसकी दोनों आखों के पर्दे फट गए थे, जिससे उसकी दोनों आखों की रोशनी चली गई। उसने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अपनी एक आंख का ऑपरेशन कराया और उसके बाद जयपुर के ही एक निजी अस्पताल में दूसरी आंख का ऑपरेशन कराया था। लेकिन, दोनों ही ऑपरेशन कामयाब नहीं हो पाए। आंखों की रोशनी जाने के कारण वह पिछले एक साल से भगवान से दुआ कर अपनी मौत मांग रहा है।

जमीन गिरवी रखकर कराया आंखों का इलाज, लेकिन…

सुनील ने बताया कि उसके पास एक बीघा जमीन थी। लेकिन, अपनी आंखों का इलाज कराने के लिए ताऊ अमर सिंह मीना के पास जमीन गिरवी रख दी। आंखों की रोशनी नहीं आने के कारण वो अपने ताऊ के 40 हजार रुपए भी नहीं दे पा रहा है। उसने बताया कि उसके घर में कमाना वाला कोई नहीं है और वो अपनी दादी के साथ ही रहता है। घर में बिजली तक भी नहीं है। ऐसे में दोनों को ही काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

नहीं दिखने के कारण एक बार हाथ में आए 14 टांके

उसने बताया कि आंखों की रोशनी जाने के बाद उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। घर से बाहर काम के लिए जाने के लिए भी गांव के लोगों का सहारा ले पड़ता है। ऐसे में अब लोगों ने दूरियां बनाना शुरू कर दिया है। जिसके कारण मौत को गले लगाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नजर नहीं आ रहा है। उसने बताया कि एक बार शौचालय करने के लिए जाते समय वह गिर गया था और उसके हाथ में करीब 14 टांके आए थे।

रोशनी गई तो टूट गया पुलिस में जाने का सपना

12 वीं कक्षा में 85 प्रतिशत अंक लाने वाले सुनील मीणा ने बताया कि वह राजस्थान पुलिस में भर्ती होकर लोगों की सेवा करना चाहता था। लेकिन, जब बीए सेकेंड ईयर कर रखा था और अलवर में कोचिंग करता था। तभी 14 मई 2022 को हुए सड़क हादसे में वो अपनी आंखों की रोशनी खो बैठा। ऐसे में उसके सारे सपने भी चकनाचूर हो गए। उसने कहा कि वह अपनी बॉडी के पार्ट डोनेट करना चाहता है, ताकि किसी और की जिंदगी बच जाएं। लेकिन, डॉक्टरों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि हमारे पास जिंदा आदमी के पार्ट निकालने का अधिकार नहीं है। साथ ही डॉक्टरों ने मदद के लिए कलेक्टर के पास गुहार लगाने की सलाह दी है, ताकि राज्य और जिला प्रशासन से मदद मिल जाएं और आंखों का वापस ऑपरेशन हो जाएं।

पिता की मौत के बाद छोड़ गई थी मां

सुनील ने बताया कि पिता महेंद्र मीणा की साल 2016 में मौत हो गई थी। उसके बाद उसकी मां उसे अपनी दादी के पास छोड़कर चली गई थी। उसके बाद अब उसका सहारा उसकी दादी ही है। उसने बताया कि उसकी एक बहन भी थी। जिसकी पहले ही मौत हो चुकी है।

(नितिन तिवारी)

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