Rajasthan Assembly session : 19 सितंबर से शुरू होगा सत्र, भाजपा ने सत्रावसान के बिना ही सत्र बुलाने पर खड़े किए सवाल

Rajasthan Assembly session : राजस्थान की 15वीं विधानसभा के सातवें सत्र की बैठक 19 सितम्बर से फिर शुरू होगी। विधानसभा सचिवालय ने सत्र की बैठक…

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Rajasthan Assembly session : राजस्थान की 15वीं विधानसभा के सातवें सत्र की बैठक 19 सितम्बर से फिर शुरू होगी। विधानसभा सचिवालय ने सत्र की बैठक बुलाने के लिए रविवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 28 मार्च की शाम बजट सत्र की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई थी, लेकिन सत्रावसान नहीं किया गया था। ऐसे में 19 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र को बजट सत्र ही माना जाएगा। सरकार के इस तरह से सत्र बुलाने को लेकर भाजपा ने सवाल खड़े करते हुए इसे राज्यपाल के अधिकारों पर अतिक्रमण बताया है। भाजपा जल्द ही राज्यपाल से शिकायत करेगी।

इधर, सत्र को निरंतर जारी रखने से विधायकों के सवाल पूछने के अधिकारों पर भी असर पड़ रहा है। विधायकों को एक सत्र में 100 सवाल पूछने की इजाजत होती है। क्योंकि सरकार की तरफ से बुलाई गई बैठक बजट सत्र ही मानी जा रही है। ऐसे में 19 सितंबर से शुरू होने जा रही विधानसभा की बैठक में वही विधायक सवाल पूछ सकेंगे, जिन्होंने अब तक 100 सवाल नहीं पूछे हैं।

ज्यादातर विधायकों का कोटा पूरा

नियमानुसार विधायक एक सत्र में 40 तारांकित और 60 अतारांकित सवाल पूछ सकते हैं। प्रतिपक्ष के प्रमुख नेता बजट सत्र के दौरान ही सवाल का ज्यादातर कोटा पूरा कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया 88, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ 95, कालीचरण सराफ 97 और वासुदेव देवनानी 88 सवाल बजट सत्र में ही पूछ चुके । ऐसे में सरकार को घेरने वाले इन नेताओ के पास आने वाली बैठकों में बहुत कम कोटा रहेगा।

राज्यपाल के अधिकार अपने पास रख रही है सरकार: कटारिया

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने बिना सत्रावसान के सत्र बुलाने को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। कटारिया ने कहा है कि राज्य सरकार ने राज्यपाल के अधिकार अपने पास रखने का ट्रेंड बना लिया है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का हनन है। जब से राज्य सरकार पर राजनीतिक संकट आया है, तब से वह डरी हुई है। वह जब चाहे तब खुद सत्र बुलाने की पावर अपने पास रखना चाहती है। हम इसका विरोध करते हैं और राज्यपाल को सारे हालात की जानकारी देंगे।

वर्ष 2020 में गहलोत सरकार के संकटकाल में हुई शुरुआत

सत्रावसान नहीं करके लगातार सत्र बुने की परंपरा गहलोत सरकार के राजनीतिक संकट काल 2020 से शुरू हुई। सचिन पायलट गुट के बगावत करने से उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए सीएम गहलोत सत्र बुलाना चाहते थे, लेकिन राजभवन से इजाजत देने में देरी की गई। कई बार भेजी गई सत्र बुलाने की फाइल राजभवन ने लौटा दी। इसके बाद सरकार ने बजट सत्र को राज्यपाल से आहूत कराने की परंपरा बना ली है। वर्ष 2021 में भी बजट सत्र को सरकार ने विधानसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करके 2022 की जनवरी तक निरंतर रखा था।

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