ग्रेटर नगर निगम : सौम्या गुर्जर ने संभाला मेयर पद, पूजा कर कार्यालय में किया प्रवेश

जयपुर नगर निगम ग्रेटर के उपचुनाव रद्द होने के बाद आखिर आज डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने अपना मेयर पद संभाल लिया। दोपहर साढ़े 12 बजे…

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जयपुर नगर निगम ग्रेटर के उपचुनाव रद्द होने के बाद आखिर आज डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने अपना मेयर पद संभाल लिया। दोपहर साढ़े 12 बजे से कुछ पहले सौम्या गुर्जर ने नगर निगम कार्यालय पहुंचकर सबसे पहले भगवान की पूजा-अर्चना की इसके बाद मेयर का कार्यभार संभाला।

 सौम्या गुर्जर दोपहर 12.15 पर निगम मुख्यालय पहुंची। यहां मौजूद निगम की समितियों के चेयरमैन समेत सभी पार्षदों ने उनका स्वागत किया। जिसके बाद सौम्या गुर्जर ने कार्यालय परिसर में स्थित पूजा स्थल पर भगवान की पूजा व आरती की। जिसके बाद पार्षदों का अभिवादन स्वीकार करते हुए मेयर के केबिन पहुंची और अपना कार्यभार ग्रहण किया।

हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला

बता दें कि ग्रेटर नगर निगम के उपचुनाव के दिन ही राजस्थान हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया था जिसमें सरकार ने सौम्या गुर्जर को मेयर पद से बर्खास्त कर दिया था। इसी के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम में चल रही वोटिंग को रुकवाने समेत उपचुनाव को रद्द करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था। जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि सौम्या गुर्जर ही अब मेयर पद पर बनी रह सकती हैं जो कि सच हुआ। आज सौम्या गुर्जर ने फिर से मेयर पद संभाल लिया है।

बाड़ेबंदी गई ‘बेकार’

बता दें कि चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी की थी। जयपुर शहर की ग्रेटर नगर निगम में 150 वार्ड हैं। जिसमें से भाजपा के 85 और भाजपा समर्थित पार्षद 8 हैं। कांग्रेस के पास इस समय 49 पार्षद हैं। वहीं 3 पार्षद कांग्रेस को समर्थन देते हैं। निर्दलीय पार्षदों की संख्या इस समय 12 है। वहीं 4 पार्षदों को पहले बर्खास्त किया जा चुका है।

कांग्रेस के पार्षदों को सांगानेर के रिजॉर्ट में रखा गया था और भाजपा के पार्षदों को चौमूं के एक होटल में रखा गया था। जहां की उनकी मौज करती हुईं तस्वीरें आजकल मीडिया में आ रही थीं। पार्षद होटल-रिजॉर्ट में क्रिकेट खेल रहे थे, स्वीमिंग पूल में तैर रहे थे, योगासन कर रहे थे। लेकिन दोनों ही पार्टियों की इस बाड़ेबंदी का कई फायदा नहीं हुआ। वहीं एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पार्षदों की बाड़ेबंदी में करीब 1 करोड़ रुपए तक खर्च हुए हैं।

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