जयपुर : निशुल्क यूनिफॉर्म की सिलाई के कम पैसे दे रही सरकार, अभिभावक में छाई नाराजगी

प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को निःशुल्क स्कूल यूनिफॉर्म देने के मामले में अब ड्रेस सिलाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सरकार…

जयपुर : निशुल्क यूनिफॉर्म की सिलाई के कम पैसे दे रही सरकार, अभिभावक में छाई नाराजगी

प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को निःशुल्क स्कूल यूनिफॉर्म देने के मामले में अब ड्रेस सिलाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सरकार द्वारा बच्चों को एक ड्रेस के 100 रुपये सिलाई के देने की घोषणा के बाद अभिभावकों ने 100 रुपये में ड्रेस की सिलाई नहीं होने की बात को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। वहीं, भाजपा इस मुद्दे की लेकर सरकार को घेरने के लिए तैयार हो गई है। पूर्व शिक्षा मंत्री ने निःशुल्क ड्रेस वितरण को दिखावा करार देते हुए बच्चों पर ड्रेस सिलाई का टैक्स लगाने की बात कही।

ड्रेस सिलाने के लिए 100 रुपए दे रही सरकार

सरकारी स्कूलों के कक्षा 1 से 8 वीं तक के करीब 70 लाख बच्चों को सरकार दो निःशुल्क ड्रेस वितरण करेगी। इसके लिए कपड़ा दिया जाएगा। इसे सिलाने के लिए सरकार 100 रुपए प्रति ड्रेस के देगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम एल यादव ने का कहना है कि सरकार ने रेट तय की है। इसमें कहीं भी सिलाव सकते हैं। सच बेधड़क के संवाददाता ने सरकार की इस रेट को लेकर बाजार में ड्रेस सिलवाने की रेट जानी तो सिंगल में एक ड्रेस की सिलाई में 700 रुपए का खर्चा आएगा। टेलर्स का कहना था कि सरकार ने जो 100 रुपए दिए हैं, उतने का तो एक ड्रेस की सिलाई में धागा ही लग जाता है।

अभिभावक बोले-100 रुपए पहले थी सिलाई

अभिभाक संघ अध्यक्ष सुशील शर्मा ने बताया कि पूर्व में सरकार ने जब निःशुल्क ड्रेस की घोषणा की तब सिलाई हुई ड्रेस देने की बात कही थी। अब कपड़ा दे रही है। सिलाई के भी 100 रुपए ही दे रही है। इससे सिलाई नहीं हो सकती। यह रेट करीब 25 से 30 वर्ष पूर्व थी। इससे बच्चों और अभिभावकों पर आर्थिक भार आएगा। यह सरकार को दिखाई नहीं दे रहा। अगर सरकार के पास 100 रुपये में सिलने वाले हैं तो फिर सिलवाकर ही दे देती। इस मामले में मंत्री और विभागीय अधिकारियों से रुपये बढ़ाने की मांग करेंगे।

सरकार बच्चों पर लगा रही है ‘सिलाई टैक्स’: देवनानी

पूर्व शिक्षा मंत्री एवं भाजपा एमएलए वासुदेव देवनानी ने कहा कि यह सरकार बच्चों को शिक्षा के लिए गंभीर नहीं है। केवल घोषणाएं करके झूठी आशा देने का काम कर रही है। योजना को धरातल पर लाने के लिए प्रशासन पर कं ट्रोल नहीं है। यह निर्णय किया है इसकी कोई प्लानिंग नहीं है। ढाई साल बीतने के बाद ड्रेस बदलने की घोषणा की। अब एक साल बचा है। अभी तक ड्रेस उपलब्ध कराई नहीं है। जब तक इसको लेकर इम्प्लीमेंट कराएगी तब तक दसरी सरकार आ जाएगी, और ू वो बदल देगी। देवनानी ने कहा कि 100 रुपये में कोई ड्रेस सिलती नहीं है। एक तो समय पर ड्रेस नहीं दे रहे ऊपर से बच्चों पर एक तरह से टैक्स लगा रहे हैं। फ्री देने का यह एक तरह से दिखावा है। अब सर्दियां आ गई है। सर्दियों में बच्चों को क्या देंगे, इसको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। शिक्षा का ढर्रा बिगड़ा हुआ है।

यह हैं बाजार में ड्रेस सिलाई की दरें

शिक्षा विभाग की इस घोषणा के बाद सच बेधड़क के संवाददाता ने जयपुर में अलग अलग जगह सिलाई की रेट पता की तो सामने आया कि सरकार की तय दर से चार गुना खर्चा आ रहा है। वो भी बड़ी संख्या में फैक्ट्री में सिलवाने पर। एक ड्रेस सिलाने के लिए कम से कम 700 रुपये खर्च करने होंगे। जयपुर के टोंक रोड स्थित आर के टेलर से एक ड्रेस की रेट पता कि तो उन्होंने बताया कि एक ड्रेस के 800 रुपए हैं। यदि अधिक मात्रा में 500 – 1000 ड्रेस एक साथ सिलवाए तो कम से कम 700 रुपए लगेंगे। वहीं, झोटवाड़ा के खातीपुरा रोड स्थित सिलाई फै क्ट्री में रेट पता की तो वहां एक ड्रेस की सिलाई के 700 रुपए बताए।

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