Narak Chaturdashi 2023 : पापों से मुक्ति दिलाता है नरक चतुर्दशी का व्रत, यमराज की पूजा का विधान

हर साल कार्तिक मास के चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस साल नरक चतुर्दशी आज यानी 11 नवंबर को है।

Narak Chaturdashi 2023

Narak Chaturdashi 2023 : हर साल कार्तिक मास के चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस साल नरक चतुर्दशी आज यानी 11 नवंबर को है। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तिल के तेल से मालिश कर पानी में चिरचिटा अर्थात अपामार्ग या आंधी झाड़ा के पत्ते डालकर स्नान किया जाता है। स्नानादि के बाद विष्णु और कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन कर पूजा की जाती है।

मान्यता है कि स्नानादि के बाद विष्णुजी और कृष्णजी की पूजा-अर्चना करने से पाप तो कटते हैं। साथ ही रूप सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। यम देवता पाप से मुक्त करते हैं। इसलिए यम चतुर्दशी भी इस दिन को कहा जाता है। इस दिन स्नान के दौरान अपामार्ग के पौधे को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए और सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाणः पुनः पुनः मंत्र का जाप करना चाहिए।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ सोलह हजार एक सौ कन्याओं को भी बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु- संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। नरकासुर को स्त्री द्वारा ही मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को आजाद कराया। कैद से आजाद करने के बाद समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।

मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, तो वध करने के बाद उन्होंने तेल और उबटन से स्नान किया था। तभी से इस दिन तेल, उबटन लगाकर स्नान की प्रथा शुरू हुई। माना जाता है कि ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग व सौंदर्य की प्राप्ति होती है। वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार नरकासुर के कब्जे में रहने के कारण सोलह हजार एक सौ कन्याओं के उदार रूप को फिर से कांति श्रीकृष्ण ने प्रदान की ने थी, इसलिए इस दिन महिलाएं तेल के उबटन से स्नान कर सोलह शृंगार करती हैं।

यमराज की पूजा का भी विधान

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाए जाने की वजह से नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी पर यम का दीपक जलाया जाता है। इस दिन कुल बारह दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।

आज ही के दिन हुआ हनुमानजी का जन्म

कई जगहों पर ये भी माना जाता है कि आज के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। अगर आयु या स्वास्थ्य की समस्या हो तो इस दिन किए गए उपाय बहु लाभकारी माने जाते हैं।

छोटी दिवाली के ये भी है नाम

माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन जो महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं, उन्हें सौभाग्यवती और सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है।

ये खबर भी पढ़ें:-धनतेरस पर बाजारों में धन बरसा…5 हजार करोड़ का कारोबार, ज्वेलरी सहित इन सामान की बिक्री अधिक