Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि इस बार पूरे 9 दिन के होंगे, जानें किस शुभ योग में होगी घटस्थापना

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार हिंदू नववर्ष कल यानी…

navratri puja vidhi | Sach Bedhadak

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार हिंदू नववर्ष कल यानी मंगलवार से शुरू हो रहा है। मान्यता है कि इसी तिथि पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। ऐसा कहा जाता है कि धरती के अपनी धूरी पर घूमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है तभी हिंदू नववर्ष मनाया जाता है।

इस दिन गुड़ी पड़वा, उगादी और चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल यानि मंगलवार से हो रही है। इस बार पूरे 9 दिन के नवरात्र होंगे। ज्योतिषों के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्र पर वर्षों बाद दुर्लभ योग बन रहा है। नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में हो रही है।

योग का निर्माण सुबह 7:32 बजे से हो रहा है। अश्विनी नक्षत्र सुबह 7:32 बजे से अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05.06 बजे तक रहेगा। इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अनंत फल की प्राप्ति होगी।

9 अप्रैल को घट स्थापना

17 अप्रैल को श्री रामनवमी के उत्सव के साथ नवरात्रि का समापन होगा। ज्योतिषों के अनुसार, इस वर्ष चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11.50 बजे से शुरू होगी। ये तिथि अगले दिन यानी 9 अप्रैल को शाम साढ़े 8 बजे समाप्त होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य है, इसलिए 9 अप्रैल को घट स्थापना होगी।

नवरात्रि कलश स्थापना कैसे करें?

चैत्र नवरात्रि के अवसर पर घर में कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें। अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उनपर पानी का छिड़काव करें। अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें। कलश स्थापना करते और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें। इस कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं और फिर कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें। इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें।