बाबोसा के बाद 20 साल पहले शुरू हुआ था ‘वसुंधरा युग’…राजे ने 120 सीटों के साथ पहना मरुधरा का मुकुट

बीस साल पहले 120 सीटों के साथ वसुंधरा राजे ने राजस्थान में सरकार बनाई थी.

sach 1 13 | Sach Bedhadak

Rajasthan Assembly Election 2023: चुनाव और परिणाम को चोली-दामन की संज्ञा दी जाती है। लेकिन इस स्तर तक पहुंचने की लम्बी प्रक्रिया है। चाहे लोकसभा या राज्य विधानसभा के चुनाव हों- पहले निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करता है। चुनावी टिकट-चुनाव प्रचार, मतदान और मतगणना की परिणति नतीजों के रूप में होती है। चुनाव नतीजों को लेकर कयास लगाए जाते हैं। सट्‌टे तक लगाए जाते हैं। संभावित चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी की जाती है।

पिछले वर्षों में इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा मतदान के तुरंत बाद एक्जिट पोल और उस पर विश्लेषण टीवी दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। इसके अलावा विभिन्न एजेसियों द्वारा चुनावी सर्वे किए जाते हैं। वर्ष 1992 में अयोध्या प्रकरण के पश्चात राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। वर्ष 1993 में राज्य विधानसभा का चुनाव कराया गया। इसके संभावित परिणामों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर उत्सुकता थी।

यह खबर भी पढ़ें:-167 करोड़ की लागत से बने जयपुर के सबसे लंबे ROB पर दौड़ने लगे वाहन, 5 साल बाद राह हुई सुगम

जयपुर में इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता संजीव श्रीवास्तव का संदेश लेकर दिल्ली से डब्ल्यूडी माथुर जोधपुर आए। चुनावी कवरेज का यह उनका पहला अनुभव था। मैं उन दिनों जोधपुर में यूनीवार्ता यूएनआई ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्यरत था। जोधपुर संभाग के विभिन्न जिलों की यात्रा करके लौटे माथुर से भोजन पर लम्बी बातचीत हुई। स्वाभाविक रूप से संभावित नतीजों पर चर्चा होने लगी।

जोधपुर जिले से लेकर संभाग की विधानसभा सीटों का आकलन हुआ। माथुर डायरी में बिंदुवार नोट कर रहे थे। एक-एक कर अन्य जिलों- संभागों की चर्चा में समूचे राजस्थान का चुनावी नक्शा सामने आ गया। मेरा आकलन था कि भाजपा को न्यूनतम 95 और अधिकतम 103 सीटें मिल सकती हैं। और चुनाव नतीजों में भाजपा को 95 विधानसभा क्षेत्रों में सफलता मिली।

उधर दिल्ली लौटे माथुर ने इसी आकलन से चुनावी रिपोर्ट बनाई। उनके साथियों ने काफी टीका टिप्पणी की। वे कुछ डर से गए। लेकिन चुनाव नतीजों ने उनकी रिपोर्टिंग पर मोहर लगा दी। कुछ दिनों पश्चात मेरा दिल्ली जाना हुआ। भेंट होने पर गद्गद माथुर के मुझे गले लगा लिया।

यह खबर भी पढ़ें:-लाल डायरी पर फिर गरमाई सियासत…गहलोत बोले-BJP ने रचा षड्यंत्र, राजेंद्र गुढ़ा को बनाया मोहरा

तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत 1977 के पश्चात वर्ष 1990 तथा 1993 में लगातार दो बार इस पद पर रहे। वर्ष 1998 के चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली और अशोक गहलोत ने पहली बार शासन सत्ता की बागडोर संभाली। वर्ष 2003 के चुनाव में पहले भाजपा में वसुंधरा राजे ने चारभुजा मंदिर से परिवर्तन यात्रा का आगाज किया।

चुनाव नतीजे आने वाले थे। एक चिकित्सक मित्र ने अपने परिचित लश्करी जी को संभावित चुनाव नतीजों के बारे में चर्चा केलिए मेरे पास भेजा। वे विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की सूची लेकर आए थे। मेरे कहे अनुसार वे भाजपा की संभावित सीटों पर टिक लगाते गए। कुल योग 116 बैठा। अंतिम परिणाम 120 रहा। मेरी बताई सीटों में हार-जीत की सात सीटों में अंतर रहा।

  • गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार।