बिजली के बजाए पानी से चलता था पंखा, 141 वर्ष पहले हुआ था इसका आविष्कार

गर्मियों का दौर आते ही हम पंखे, कूलर और एसी की और झांकने लगते हैं। ये तीनों उपकरण ना हो तो शायद व्यक्ति का जीना…

Fan used to run on water instead of electricity, it was invented 141 years ago

गर्मियों का दौर आते ही हम पंखे, कूलर और एसी की और झांकने लगते हैं। ये तीनों उपकरण ना हो तो शायद व्यक्ति का जीना ही दूभर हो जाए। भलें ही सर्दी के मौसम में हम पंखे जैसे हवा देने वाले उपकरणों को भूल जाते हैं, लेकिन यही पंखा गर्मी में हमें राहत की सांस प्रदान करता है। हालांकि पंखे से पहले बिजणी (हाथ द्वारा चलाई जाने वाली पंखी) का उपयोग किया जाता था। यह बांस की पत्तियों से बुनी जाती थी। जिसे हाथ से हिलाकर स्वंय को हवा दी जाती थी।

जैसे-जैसे समय गुजरता गया, पंखी हमारे हाथों से गायब होने लग गई। यूं तो गांवों में आज भी पंखी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बहुत कम स्तर पर। पंखे तथा कूलर का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। यहां हम पंखे बात कर ही रहे हैं तो यह भी जानने की उत्सुकता बनी रहती है कि आखिर पंखे का आविष्कार किसने किया। शुरूआती दौर में पंखे कैसे हुआ करते थे, तथा इसे बनाने का श्रेय किसे दिया जाता है, इन्हीं सब के बारे में जानेंगे आज के कॉर्नर में…  

पानी से चलता था पंखा

पंखे का आविष्कार करने का श्रेय शूयलर स्काट्स व्हीलर को दिया जाता है। 17 मई 1860 को जन्में शूयलर ने वर्ष 1882 में सबसे पहला पंखा बनाया था। जो कि जमीन या टेबल पर रखकर चलाया जाता था। इसलिए इसे टेबल फेन भी कहा गया। इसके अलावा शूयलर ने बिजली से चलने वाले इंजन सहित कई ऐसे उपकरणों का आविष्कार किया जो विद्युत से चलते थे। इससे पहले वर्ष 1860 में भी पंखे का उपयोग किया जाता था, जिसकी खास बात यह थी कि, यह विद्युत द्वारा नहीं बल्कि पानी से चलता था।

लेकिन पानी से चलने वाले पंखे बहुत महंगे होते थे। इसके बाद फिलिप दीहल नामक व्यक्ति ने वर्ष 1889 में ऐसे पंखे का आविष्कार किया जो, सिलाई मशीन की मोटर द्वारा चलाया गया था। इस मोटर पर पंखे की ताड़िया लगाई गई थी, जिसे छत पर लगाकर चलाया गया था। यहीं से छत पर टांगने वाले पंखे का आविष्कार हुआ। बाद में बस, रेलगाड़ी तथा कार जैसे यातायात के वाहनों में भी पंखे लगाए जाने लगे।

जमीन पर रखकर चलाया जाता था

पंखे को घर की छत पर भीतर की तरफ लगाया जाता है। हालांकि जब पंखे का आविष्कार हुआ था, तब इसे जमीन पर रखकर चलाया जाता था, छत पर पंखा लगाने का चलन बाद में आया। विद्युत से चलने के कारण इसे यांत्रिक पंखा भी कहा जाता है। यह उपकरण चार दिवारी कमरे की हवा को गतिशील बनाने रखने का कार्य करते हैं। इसके लिए घूर्णन ब्लेडों का उपयोग किया जाता है। यह हवा को बाहर निकालने, शीतन तथा अन्य गैसीय परिवहन के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। यह कम दाब उत्पन्न करके अधिक आयतन में हवा का प्रवाह उत्पन्न करते हैं। जबकि इसकी अपेक्षा गैस कम्प्रेसर अधिक दाब पर कम आयतन में हवा देते हैं।

पंखे से एसी तक का सफर

भारत में इसका आगमन वर्ष 1930 में हुआ। यहां सबसे पहले इंडियन इलेक्ट्रिक वर्क्स ने पंखा बनाया था। हालांकि वर्ष 1902 में पंखे बनाने वाली पहली कंपनी भारतीय बाजार में आयी थी। इसी वर्ष एसी की खोज हुई थी, जो कि हवा देने वाला सबसे खास उपकरण है। वर्ष 1932 में एमर्सन इलेक्ट्रिक कंपनी ने फिर ऐसे पंखे का निर्माण किया जो, कि जमीन पर रखकर चलाया जा सकता था। इसे फ़्लोर फैन कहा गया था।

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