1 चेहरा रोकने के लिए 15 दलों की जुटान, ये है 2024 में सत्ता की गलियों तक पहुंचने का प्लान

पटना में शुक्रवार को घंटों चली 15 विपक्षी दलों की महाबैठक में अगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने पर मंथन किया गया.

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कनिका कटियार: देश में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर विपक्षी बिसात बिछाने की तैयारी को लेकर पहली कवायद शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में हुई जहां घंटों तक चली 15 विपक्षी दलों की महाबैठक में अगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने पर चिंतन-मनन किया गया. वहीं बैठक में विपक्षी दलों के बीच अगली मीटिंग 12 जुलाई को शिमला में होना भी तय हुआ है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित की गई इस बैठक में 6 राज्यों के सीएम और 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए थे.

बैठक में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन समेत 6 राज्यों के सीएम और अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती समेत 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए. इसके अलावा राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी बैठक में मौजूद रहे. बैठक के दौरान सभी दलों के नेताओं ने अपनी राय रखी और बैठक के बाद सभी नेताओं ने एक साझा प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुटता पर सहमति बनी है.

वहीं नीतीश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सभी ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इधर बताया जा रहा है कि अगले महीने होने वाली बैठक में विपक्षी एकता की इस कवायद को अंतिम रूप दिया जाएगा. वहीं दूसरी बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा होगी.

विपक्ष ने बनाई NDA के खिलाफ रणनीति

वहीं इस बैठक के दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने वन फॉर वन फार्मूले का ज़िक्र करते विपक्षी एकजुटता को साधने की रणनीति को सभी दलों के सामने रखा जहां नीतीश कुमार ने साफ किया कि गठबंधन होने के बाद सीटों को लड़ाई को खत्म कर वन फॉर वन फार्मूले पर हम सभी को आगे बढ़ना होगा. दरअसल उनका कहना था कि सभी राज्यों में बीजेपी के ख़िलाफ़ केवल महागठबंधन का एक उम्मीदवार ही उतारा जाए ताकि वोट शेयरिंग का मसला दूर हो सके.

इसके अलावा नीतीश कुमार ने इस बैठक में कहा कि सामूहिक प्रत्याशी को मैदान में उतारने से ही बीजेपी को हराया जा सकेगा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने नीतीश कुमार की बात का समर्थन करते हुए कहा कि हर राज्यों में विपक्षी दलों की अलग और राज्यों की ज़रूरतों के हिसाब से रणनीति बनानी चाहिए ताकि सत्तापक्ष को कड़ी टक्कर दी जा सके और इससे सभी मुद्दे, धर्म, जाति और समीकरणों को साधना आसान हो जाएगा.

वहीं बैठक में राहुल गांधी ने कहा की मैं मानता हूं की विपक्षी दलों में दूरियां हैं पर हम सभी लोगों को दूरियां मिटा कर एकजुटता के साथ इस महागठबंधन को बनाने की कोशिशें जारी रखनी चाहिए.

विचारधारा छोड़ बनानी होगी एकजुटता

वहीं बैठक में उपस्थित उद्भव ठाकरे ने कहा कि जिस तरह से हमारी पार्टी की विचारधारा अलग है लेकिन उसके बावजूद हमनें एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया हुआ है जिसका फ़ायदा उन्हें मिला. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी उद्भव ठाकरे की बात से सहमति जताई और कहा की अलग-अलग फायदे और विचारधारा को छोड़ कर सामूहिक विचारधारा से हमें एकजुट होना होगा. विचारधारा वाली बात पर फ़ारूख़ अब्दुल्लाह, उमर अब्दुल्लाह, ममता बनर्जी, महबूबा मुफ़्ती और अन्य नेताओं ने एक जैसी राय रखते हुए अपना समर्थन दिया.

हालांकि इस बैठक में आम आदमी पार्टी से केजरीवाल का दांव और राय अलग दिखाई दी जहां केजरीवाल ने अध्यादेश के मुद्दे को उठाते हुए कहा की अध्यादेश के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों को साथ देना होगा. वहीं सूत्रों का कहना है कि कई नेताओं को केजरीवाल की यह बात समझ में नहीं आई और संसद सत्र में उन्होंने इस बात पर मंथन करने का कहा. बता दें कि केजरीवाल बैठक के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए और कुछ देर बाद अपना स्टेटमेंट जारी कर विरोध जताया.

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