चांद पर कहीं छोटे तो कहीं बड़े-बड़े गड्ढे, लैंडिंग से पहले हमारे चंद्रयान-3 ने भेजी चंदा मामा की नई तस्वीरें

चंद्रयान-3 का फाइनल डिबूस्टिंग ऑपरेशन पूरा हो गया है। इसके साथ ही हमारा चंद्रयान-3 सोमवार को चांद की सतह के बेहद करीब पहुंच चुका है।

Chandrayaan-3 Mission

Chandrayaan-3 Mission : नई दिल्ली। चंद्रयान-3 का फाइनल डिबूस्टिंग ऑपरेशन पूरा हो गया है। इसके साथ ही हमारा चंद्रयान-3 सोमवार को चांद की सतह के बेहद करीब पहुंच चुका है। इसके 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। लेकिन, लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 ने नई तस्वीरें भेजी है।

जिसमें साफ दिख रहा है कि चांद पर कई बड़े-छोटे गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। कुछ तो सैकड़ों किमी व्यास के बताए जाते हैं। इसी इलाके में अपने लिए उतरने की जगह ढूंढ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से चांद पर लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा।

इसरो ने जारी की नई तस्वीरें

चंद्रयान-3 ने 19 अगस्त अपने कैमरे से ये तस्वीरें ली है। जिसे सोमवार को इसरो ने ट्वीटर पर शेयर किया है। साथ ही इसरो ने ट्वीट किया कि विक्रम लैंडर द्वारा कुछ तस्वीरें भेजी गई हैं। लैंडर में लगा कैमरा लैंडिंग के दौरान बोल्डर और गहरी खाइयों की जानकारी देता रहता है।

चंद्रयान-3 चांद से 25 किमी दूर

बता दें कि अंतरिक्ष से देश के लिए उस वक्त एक अच्छी खबर आई, जब रविवार तड़के पूरा देश नींद के आगोश में था। हमारा चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद के सबसे करीब पहुंच गया है। इसरो के मुताबिक अब चांद से इसकी दूरी मात्र 25 किलोमीटर रह गई है। इसरो ने बताया कि रविवार तड़के विक्रम लैंडर की रफ्तार को दूसरी बार कम किया गया। इस डीबूस्टिंग प्रक्रिया के बाद लैंडर 25 गुना 134 किलोमीटर की कक्षा में पहुंच गया है। यानी चांद की सतह से इसकी अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर और न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर रह गई है।

चिंता के आखिरी क्षण वाला चरण

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले कुछ क्षण इस मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाले है। इस समय चंद्रयान-3 ‘चिंता के आखिरी क्षण’ वाले चरण में हैं। यह वह समय है जब चंद्रयान-3 अधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति में पहुंच गया है। हालांकि इसरो का कहना है कि अभी तक सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से चल रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि किसी भी स्पेस मिशन के अंतिम क्षणों को ‘चिंता के आखिरी क्षण’ की संज्ञा दी जाती है। यह वह समय होता है जब लैंडर और रोवर उस ग्रह की सतह पर लैंड करता है। सबसे कम दूरी से यह 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करेगा। इस दौरान इसकी रफ्तार करीब 2 मीटर प्रति सेकंड के आसपास होगी।

सफल लैंडिंग कराएगा विक्रम 

लैंडर विक्रम को अब अपने दिमाग पूरा इस्तेमाल करना होगा। यह अपने सेंसर और कै मरों की मदद से लैंडिंग की मुफीद जगह तलाशेगा। फिर अपनी रफ्तार को लगभग शून्य कर लेगा। फिर धीरे-धीरे चांद पर इसके चारों पाएं कदम टिकाएं गे। बताया जा रहा कि 12 डिग्री के झुकाव के साथ चांद पर उतरेगा। इसके बाद प्रज्ञान रोवर इससे बाहर आएगा। वह 14 दिन तक चांद की सतह पर परीक्षण करेगा।

ये खबर भी पढ़ें:-China Moon Mission : चांद की परत को देखना हुआ और बेहतर, चीन के रोवर ने कर डाली बड़ी खोज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *