हजारों साल पुरानी दुनिया के अवशेष, समुद्र के नीचे मिला ‘मेगास्ट्रक्चर’

वैज्ञानिकों ने एक लंबे समय से खोए हुए पाषाण युग की ‘मेगास्ट्रक्चर’ की खोज की है। यह खोज इस बात की ओर संकेत करती है कि समुद्र के नीचे एक और दुनिया हो सकती है।

scientists discovered another world under the earth this | Sach Bedhadak

बर्लिन। वैज्ञानिकों ने एक लंबे समय से खोए हुए पाषाण युग की ‘मेगास्ट्रक्चर’ की खोज की है। यह खोज इस बात की ओर संकेत करती है कि समुद्र के नीचे एक और दुनिया हो सकती है। दरअसल, समुद्री भूविज्ञानी जैकब गीर्सन ने अपने स्टूडेंट्स के साथ समुद्र तल के एक हिस्से का मानचित्रण किया था। बाद में जांच के दौरान गीर्सन को सतह से 70 फीट नीचे आधे मील से अधिक लंबी एक पत्थर की दीवार मिली जो पाषाण युग की थी। ये धरती की ग्रह पर सबसे पुरानी विशाल संरचनाओं में से एक थी।

पीएनएएस में प्रकाशित शोध में गीर्सन और उनके सहयोगियों का कहना है कि प्राचीन वास्तुकला के इस टुकड़े का उपयोग हिरणों को पालने और उनका शिकार करने के लिए किया गया होगा। गीर्सन को इकोसाउंडर पर चट्टानों और पत्थरों को बाल्टिक सागर के तल पर बिखरी हुई ऊबड़-खाबड़ विसंगतियों के रूप में देखने की आदत थी, जो हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप से ग्लेशियरों के पीछे हटने के बाद पीछे रह गए थे।

यह खबर भी पढ़ें:-साल में चौथा सोलर फ्लेयर, सूर्य की सतह पर शक्तिशाली विस्फोट

10 से 11 हजार साल पुरानी है दीवार

गीर्सन और छात्रों के एक नए बैच ने एक कै मरा नीचे उतारकर पुष्टि की कि यह पर्वतमाला हजारों चट्टानों से बनी है। एरिक्सन ने डेटा की समीक्षा की और इस बात पर आश्वस्त हो गए कि यह संरचना प्रागैतिहासिक मनुष्यों द्वारा बनाई गई थी, जिन्होंने बड़ी अचल चट्टानों को एक दीवार में जोड़ने के लिए बहुत सारे छोटे पत्थरों का उपयोग किया था। मैं यूएफओ में विश्वास नहीं करती। वह और दूसरे पुरातत्व विद इस बात पर सहमत थे कि दीवार का उपयोग 10 से 11 हजार साल पहले पाषाण युग के दौरान शिकारी संग्रहकर्ताओं ने किया था।

शिकार के लिए होता था उपयोग

एरिक्सन के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में बारहसिंगों को मारने का एकमात्र तरीका यह है कि आप उन्हें शूटिंग ब्लाइंड में ले जाएं । इसमें एक तरफ पत्थर की दीवारें और दूसरी तरफ पानी रहा होगा। हिरन दीवार और पानी के बीच फंस गया होगा, जिससे शिकारियों को हिरन पर तीर चलाने का मौका मिल जाता होगा। ये प्रागैतिहासिक लोग खानाबदोश थे लेकिन यह दीवार बताती है कि उनके पास नियमित प्रवासन मार्ग रहा होगा।

यह खबर भी पढ़ें:-नासा करेगा लॉन्च, जापान ने लकड़ी से बनाया सैटेलाइट