ओलंपस मॉन्स की तस्वीरों का विश्लेषण किया, मंगल पर था कभी पानी ही पानी!

मंगल ग्रह पर माना जाता है कि आज से करोड़ों साल पहले पानी था और धरती की ही तरह महासागर थे। इसमें भी थ्योरी दी जाती रही है कि प्राचीन महासागरों से भी ऊंचे ज्वालामुखी थे। अब यह थ्योरी और भी मजबूत होती जा रही है।

Olympus Mons | Sach Bedhadak

वॉशिंगटन। मंगल ग्रह पर माना जाता है कि आज से करोड़ों साल पहले पानी था और धरती की ही तरह महासागर थे। इसमें भी थ्योरी दी जाती रही है कि प्राचीन महासागरों से भी ऊंचे ज्वालामुखी थे। अब यह थ्योरी और भी मजबूत होती जा रही है। शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह पर मौजूद हमारे सौरमंडल के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स की तस्वीरों का विश्लेषण किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पहाड़ के उत्तरी क्षेत्र के पास भूमि का एक झुर्रीदार टुकड़ा संभवतः तब बना होगा, जब लाखों साल पहले शिखर से बेहद गर्म लावा निकला था। मंगल आज एक रेगिस्तानी ग्रह बन गया है। हालांकि इसके ध्रुवों पर बर्फ के अवशेष छोड़कर पानी नहीं है।

यह खबर भी पढ़ें:-ये गिरगिट जैसे रंग बदलने वाली मछली…मौत के बाद भी बदल लेती है त्वचा का रंग

वैज्ञानिकों को नई तस्वीरों में यह दिखा

नई तस्वीरों में भूमि का टूटा हुआ टुकड़ा दिख रहा है, जिसे लाइकस सुलसी के नाम से जाना जाता है। यह फोटो इसी साल जनवरी में यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर की ओर से खींचा गया था, जो पिछले दो दशकों से मंगल ग्रह की जमीन के नीचे पानी की खोज कर रहा है। नई जानकारियां ओलंपस मॉन्स के आसपास की विशाल चट्टानों के संबंध में जुलाई में मिले ऐसे ही भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के बाद सामने आई हैं। शोधकर्ताओ का मानना हैं कि वे चट्टानें या फिर ढलान एक प्राचीन तटरेखा को चिह्नित करती हैं, जिसके अंदर एक बड़ा गड्ढा है।

यह खबर भी पढ़ें:-चांद पर खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री धरती पर, क्या है दावे का सच, जानें

क्या कहते हैं शोधकर्ता

शोधकर्ताओं ने एक बयान में लिखा कि यह ढहना विशाल चट्टानों और भूस्खलन के कारण हुआ, जो नीचे की ओर खिसक गया और मैदानी इलाकों तक फैल गया। नई तस्वीरों में दिखाया गया कि लाइकस सुल्सी ओलंपस मॉन्स से 1000 किमी तक फैला है। यह एक क्रेटर के पास जाकर रुक जाता है। हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया है कि क्या लाइकस सुल्सी मंगल ग्रह पर जीवन के लिए अनुकूल था या नहीं। हालांकि 2019 में हुई एक स्टडी में पता चला था कि हवाई के ज्वालामुखी के पास लावा क्रिकेट्स पनप सकते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *