चंद्रयान यान-3 नहीं कर सका वो जापान के ‘स्लीम’ ने करके दिखाया, सूर्य किरणों से हुआ पुनर्जीवित

जाक्सा ने बताया है कि उनका अंतरिक्ष यान सर्द रात के बाद चमत्कारिक तरीके से फिर से जिंदा हो गया है। यह चमत्कार तब हुआ जब सूरज की किरणों का एंगल बदला और स्लिम की बैट्री फिर से चार्ज हो गई।

SLIM Moon Lander | Sach Bedhadak

टोक्यो। जापान का चंद्रयान ‘स्लिम’ चांद पर पुनर्जीवित हो गया है। चांद की सतह पर झंडा फहराने वाले जापान के चंद्रयान स्लिम के इस चमत्कार का ऐलान जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) जाक्सा ने किया। जाक्सा ने बताया है कि उनका अंतरिक्ष यान सर्द रात के बाद चमत्कारिक तरीके से फिर से जिंदा हो गया है। यह चमत्कार तब हुआ जब सूरज की किरणों का एंगल बदला और स्लिम की बैट्री फिर से चार्ज हो गई। करीब दो सप्ताह भीषण ठंड को मात देने के बाद एक बार फिर से यह जापानी यान चांद की सतह पर सक्रिय हो गया है और आने वाले समय में चांद के कई राज खोल सकता है।

गौरतलब है कि जापानी यान को लैंड करने में भारत के चंद्रयान मिशन ने बहुत मदद की है। इससे पहले पिछले महीने स्लिम ने एकदम सटीक लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। हालांकि लैंडिंग के बाद, लैंडर पलट गया और स्लीप मोड में चला गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसके सोलर पैनल की दिशा के कारण इसकी बैटरियां रिचार्ज नहीं हो पा रही थीं। जाक्सा ने खुलासा किया कि दो हफ्ते बाद, सूरज का कोण बदल गया, जिससे स्लिम को रिचार्ज किया जा सका। इसका नतीजा यह हुआ कि यह यान जाग गया और उसने पृथ्वी के साथ फिर से संचार स्थापित किया है।

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10 चट्‌टानों का कर चुका अवलोकन

हालांकि स्लिम लक्ष्य से लगभग 55 मीटर दूर उतरा, फिर भी यह निर्दिष्ट लैंडिंग क्षेत्र के भीतर ही उतरा था। चांद पर उतरने के बाद स्लिम ने लगभग 10 चट्टानों पर अवलोकन किया। स्लिम मिशन की टीम को विश्वास है कि जापानी यान के निष्कर्ष नेविगेशन तकनीकों की उन्नति में योगदान देंगे।

कठोर सर्दी के लिए नहीं किया गया डिजाइन

जाक्सा के मुताबिक स्लिम ने अपनी संचार क्षमताओं को बनाए रखते हुए चंद्र सतह पर रात को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। चंद्रमा के लैंडर को सर्द कठोर चंद्र रातों के लिए डिजाइन नहीं किया गया था, जहां तापमान शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस तक नीचे गिर सकता है। गौततलब है कि जापान ने साल 2023 में स्लिम के सफल प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक सटीक और स्थानीय लैंडिंग को पूरा करना था। इसका लक्ष्य चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास शियोली क्रेटर के आसपास 100 मीटर के दायरे में उतरना था, जो पहले कभी हासिल नहीं हुआ था।

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