अरबों साल पहले चांद पर फटा ज्वालामुखी बना 50 Km बड़ा ग्रेनाइट का पहाड़

चंद्रमा पर ज्वालामुखी फटने के सबूत के तौर पर ग्रेनाइट का बड़ा भंडार पाया गया है जो कि 50 किमी के दायरे में फैला है। यह लावे के ठंडा होने के कारण बना है।

moon | Sach Bedhadak

वाशिंगटन। पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा चांद पर वैज्ञानिकों को अब यहां पुराने ग्रेनाइट के भंडार दबे हुए मिले हैं। इस तरह की खोज इससे पहले चांद की सतह पर सामने नहीं आई थी। एक रोचक बात ये भी है कि इस ग्रेनाइट से गर्मी निकल रही है। इसे एक सैटेलाइट ने खोजा है। चंद्रमा पर ज्वालामुखी फटने के सबूत के तौर पर ग्रेनाइट का बड़ा भंडार पाया गया है जो कि 50 किमी के दायरे में फैला है। यह लावे के ठंडा होने के कारण बना है। यह 3.5 अरब साल पहले फटा होगा। यह सौरमंडल के निर्माण से 1 अरब साल बाद का समय है।

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ग्रेनाइट में रेडियोएक्टिव एलीमेंट बहुत ज्यादा 

चांद पर पाया गया ये ग्रेनाइट 50 किमी व्यास का है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितने बड़ेक्षेत्र में फैला है। यह चांद के दूसरी तरफ की साइड में मौजूद कॉम्पटन बेल्कोविच वॉल्केनिक कॉम्प्लेक्स में पाया गया है। टक्सन में प्लेनेटरी साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट में शोध को लीड करने वाले डॉ. मैट सीगलर के अनुसार ग्रेनाइट में यूरेनियम और थोरियम जैसे रेडियोएक्टिव एलीमेंट बहुत ज्यादा मात्रा में मौजूद होते हैं। 

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इसलिए पहाड़ छोड़ रहा है गर्मी 

शोध में कहा गया है कि यूरेनियम और थोरियम जैसे तत्वों का कारण ही यह ग्रेनाइट का पहाड़ इतनी गर्मी छोड़ रहा है। धरती के बाहर सौरमंडल में ग्रेनाइट न के बराबर मौजूद है। यह तब बनता है जब किसी अग्नि संबंधित क्रिया के बाद मैग्मा का निर्माण होता है। इससे पहले के मिशनों में जो चट्टानें धरती पर लाई गई थीं, उनमें से केवल कुछ दाने ही ग्रेनाइट के थे, यानी कि इनमें ग्रेनाइट बहुत ही थोड़ी मात्रा में मौजूद था।

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